गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

तीन किन्तु

 गरमी में 

चिलकती धूप में 

छाँह बहुत सुखदायक लगती है 

किन्तु, छाँह में 

कपडे कहाँ सूखते हैं !


२- 

 गति से बहती वायु 

बाल बिखेर देती है 

कपडे उड़ा देती है। 

किन्तु, 

जब नहीं चलती

चेहरे पर हवाइयां उड़ा देती है। 


३ 

पक्षी और मनुष्य 

भटकते रहते है 

पक्षी दाना पानी की खोज में 

मनुष्य रोजी रोटी की खोज में 

कभी कभी दाना पानी रोजी रोटी नहीं मिलती 

किन्तु, पक्षी कभी 

इंसान की तरह निराश नहीं होते। 

मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

वर्षा से चिंतित माँ!

घनघोर वर्षा 

कड़कती बिजली 

गर्जन करते मेघ 

सब जल- थल 

मैं माँ के पास बैठ जाता 

माँ चिन्तित दृष्टि बाहर डालती 

मेघ आच्छादित आकाश देखती 

मैं समझ नहीं पाता

माँ इतनी चिन्तित क्यों! 

हम तो घर में है सुरक्षित 

चिन्ता की बात क्या 

तभी छत टपकने लगी 

टपाक! 

एक बूँद मेरे सर पर बजी 

अब मैं समझ गया था। 

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...