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बच्चे ने कहा

बच्चे ने पूछा - नाना , तुम्हारे नाना कहाँ हैं ? नाना- मेरे पास मेरे नाना नहीं हैं। बच्चा- तुम्हारे नाना तुम्हारे पास क्यों नहीं  हैं ? नाना- वह भगवान् के पास चले गए है। बच्चा- भगवान् के पास क्यों चले गए हैं ? नाना- भगवान् ने उन्हें बुला लिया था । बच्चा- भगवान् ने उन्हें क्यों बुला लिया ? नाना- जो लोग अच्छे काम करते हैं , भगवान् उन्हें बुला लेते हैं। बच्चा- भगवान उन्हें क्यों बुला लेते हैं ? नाना- क्योंकि , उन्हें भी अच्छे लोगों की ज़रुरत होती है। बच्चा (कुछ सोचने के बाद) - लोग अच्छे काम क्यों करते हैं! नाना , तुम अच्छे काम नहीं करना। वरना भगवान् तुम्हे भी बुला लेंगे।

अकेला

मैं अकेला ही था चलता रहा उस राह पर बना दिये थे पैरों के निंशान आज उस पगडंडी पर सैकड़ों चलते है जिस राह पर चला था मैं अकेला ।

बेटा आ गया !

माँ ने कहा था बेटा , जल्दी लौट आना बेटा शहर गया बेटे से मशीन बन गया मशीन की खट खट में माँ की पुकार खो गई बरसों बीत गए बेटा लौटा हाथों में नोटों का थैला था  लेकिन , माँ नहीं थी ! वह फोटो बन गई थी बेटे ने चन्दन की माला चढ़ा दी बोला - मैं आ गया माँ !

पांच हाइकू

घने बादल लो सूर्यदेव झांके आशा किरण। ##### आकाश पंछी छूना चाहे क्षितिज लौट आना है। ##### बहती हवा उड़ती घटाएं भी मनुष्य जैसे। ##### सड़क गीली घर- बाहर तक तन भी गीला ।  #### वृक्ष कहाँ हैं चिड़िया बोले कैसे हमारा घर।   

शिक्षक दिवस

आओ , खेलते हैं टीचर टीचर शिक्षक दिवस है न ! तुम मुझे पढ़ाओ मैं तुम्हे पढ़ाऊँ न तुम समझो न मैं तुम्हे समझा पाऊं यह जानते हुए कि मेरी विद्या तुम्हे तुम्हारी विद्या मुझे समझ में नही आएगी। फिर भी खेलते हैं टीचर टीचर आज शिक्षक दिवस है न !

अर्थ व्यवस्था : ५ क्षणिकाएं

विरोधियों की हाय हाय का सेशन बाज़ार में  इन्फ्लेशन। @ खुदरा में न थोक में नज़र आती है महंगाई हर छह महीने के महंगाई भत्ते में नज़र आई। @@ बचत में जाए घट  क़र्ज़ में आये न नज़र समझ लीजिये कि कम हो गई ब्याज दर। @@@ जब न चले बन्दूक , न गोला बारूद की मार फिर भी मचा हो दुनिया में हाहाकार समझ लीजिये कि छिड़ गई है ट्रेड वॉर। @@@@ अमेरिका , चीन और जापान पर जिसकी हो आस्था समझ लीजिये उसे भारत की अर्थ व्यवस्था।   

अब भी !

बच्चा छोटा था  वैसे ही, जैसे दूसरे बच्चे होते हैं  बड़ी बड़ी मीठी बातें करने वाला  बच्चा बड़ा हो गया है  फिर भी  बड़ी बड़ी, मीठी बातें करता है  अब नेता हो गया है बच्चा  आह, बड़ा अब भी नहीं हुआ । 

कैसे !!!

मुझे याद है पिता ने सिखाया था चलना मुझे यहॉं तक कि, कैसे पकड़नी है उँगली ! कैसे नहीं छोड़ना है साथ ! मुझे हमेशा याद रही उनकी यह सीख । इसे मैं कैसे भूल गया तब ! कमर दर्द से बेहाल पिता जब सीधे चल नहीं पाते थे । झुक गयी थी कमर उनकी अपनी उँगली पकड़ा नही पाया थोड़ा झुक कर देखता रहता उदासीन उनको बाथरूम जाते घिसटते हुए । कैसे भूल गया था मैं ? 

कारण

बेशक शिकायत वाजिब है कोई नहीं सुनता किसी की क्या तुमने कुछ सुनाने की कोशिश की सिर्फ शिकायत करना कोशिश नहीं । ### रात के सन्नाटे में उसकी चींख उभरी और खामोश हो गई अब झींगुर बोलने लगे थे। ### कोई कितनी भी कोशिश करे किसी को समझाने की बेकार है कोशिश क्योंकि , समझने के लिए समझ भी ज़रूरी है। ### पहले हँसा फिर रोया फिर शून्य में झांकने लगा दुःख व्यक्त करने के लिए ज़रूरी है यह। ### बेशक कोई कुछ न करे आदत है किसी की लेकिन जब कोई कुछ करता है सवाल न करे यह आदत ठीक नहीं। ### मैं समझता रहा कि  सन्नाटा  पसरा हुआ है  सकपका गया मैं मैं क्यों हूँ सन्नाटे में !

एक सपना

एक रात वह मेरे ख़्वाब में आया उसने मेरे बाल सहलाये मैंने आँखे खोली वह मन्द मन्द मुस्कुराया मैंने आँखें बन्द कर ली बड़ा प्यारा सपना था कैसे जाने दूँ एक पल में आँखों से !

इधर उधर, उधर इधर

बिल्ली आई ,  चूहे भागे , इधर उधर , उधर इधर पानी बरसा , बूंदे बिखरी इधर उधर , उधर इधर। आंधी आई , पत्ते फैले  इधर उधर , उधर इधर। कुत्ता भौंका , पब्लिक भागी इधर उधर , उधर इधर।

ग़ज़ल

मैंने कब भूलना चाहा था तुमको,  तुम थे कि मुझे कभी याद न आये। ...   चाहता था हमेशा  दोस्ती  करना तुमसे , तुम दुश्मनी की रस्म निभा के चले गए।

मॉं-बाप

जब , मॉं-बाप नहीं रहते तब समझ पाता है आदमी । पिता की जिस लाठी से डरता था , पिता को बुरा मानता था आज समझ में आया कि डराने वाली यही लाठी सहारा बनती थी गिरने पर , लड़खड़ाने पर । बीवी के जिस आकर्षण में मॉं के आँचल से दूर हो गया , उसी से मॉं चेहरे पर ठंडी हवा मारती थी , पसीना पोंछ कर सहलाती थी , छॉंव में चैन से सोता था । आज मॉं-बाप नहीं , बच्चे है। और मैं खुद हो गया हूँ- मॉं-बाप ।

गर्मी में बारिश

गर्मी में हवा के थपड़े चेहरे पर पड़ते हैं झन्नाटेदार झापड़ की तरह तपती धरती पर बारिश की बूंदे नथुनों में घुसती हैं माटी की सुगंध की तरह चेहरे पर बारिश की बूंदे लगती है माँ की दुआ की तरह।

निशान

मैं वहाँ जाता हूँ जहाँ तुम पहली बार मिले थे मैं जानता हूँ जहाँ तुम मिले थे वहां होंगे तुम्हारे कदमों के निशान मैं वहाँ जाता हूँ यह देखने के लिए कि तुम होंगे , कदमों के निशानों के आसपास अफ़सोस तुम नहीं मिलते निराश वापस आ जाता हूँ छोड़ आता हूँ तुम्हारे निशानों के साथ अपने कदमों के निशान इस आस में कि  शायद कभी वापस आओ तो जान पाओ कि मैं वहाँ आया था।