घने बादल
लो सूर्यदेव झांके
आशा किरण।
#####
आकाश पंछी
छूना चाहे क्षितिज
लौट आना है।
#####
बहती हवा
उड़ती घटाएं भी
मनुष्य जैसे।
#####
सड़क गीली
घर- बाहर तक
तन भी गीला ।
####
वृक्ष कहाँ हैं
चिड़िया बोले कैसे
हमारा घर।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें