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संदेश

शब्द चित्र!

 शब्द चित्र  कैसे बनते हैं ?  एकाधिक शब्दों और वाक्यों का सम्मिलन  प्रभावशाली ढंग से ! तो  इसे कोई भी बना सकता है  इतना सरल है  शब्द चित्र का निर्माण !  नहीं, कदापि नहीं  शब्द चित्र इतने सरलीकृत नहीं  यदि अनुभव और संवेदना का मिश्रण नहीं !
हाल की पोस्ट

कुत्ता था !

एक आदमी और कुत्ता  चले जा रहे थे -  साथ साथ  कुत्ते के गले मे पट्टा था  उसकी जंजीर आदमी के हाथ में थी  आदमी नौकर था  कुत्ते को टहलाने लाया था  दोनों ही सोच रहे थे  कुत्ता सोच रहा है  यह आदमी कितना अच्छा है  मुझे टहलाता है  मेरी टट्टी साफ करता है  मुझे नहलाता धुलाता भी है  उसी समय आदमी ने सोचा - इस कुत्ते के कारण मुझे काम मिला है  अच्छा पैसा मिलता है  इसे  मेरी और मुझे इसकी जरुरत है  इसलिए  मालिक चाहे मर जाए  किन्तु यह कुत्ता न मरे  आदमी की सोच  कुत्ते तक पहुँच गई थी शायद ! इसलिए कुत्ता घर पहुँच कर मालिक से  चिपट गया  नौकर की तरफ मुड़ कर नहीं देखा  कुत्ता स्वामिभक्त था !

कबूतर उड़!

  कबूतर प्रेम का कबूतर  कबूतरी प्रेम की प्रेमिका  दोनों दुनिया से अलग  प्रेम प्यार मे डूबे रहते  एक दिन कबूतरी ने अंडा दिया  प्रेम और अपने ऑयरन के अंश को  वह सेने लगी  दिन भर बैठी रहती इस से ऊब ने लगा कबूतर  उड़ चला प्रेम की खोज में। 

पेड और सूख गया!

धूप सर चढ़ आई थी   भूख लगने लगी थी   उसने खाने की पोटली निकाली   पानी की तलाश में इधर उधर दृष्टि डाली   न पानी था , न छाया थी   एक सूखा पेड़ खड़ा था उदास   वह पेड़ की लंबी छाया के आश्रय मे बैठ गया   सूखा पेड़ खुश हो गया   भूखा खाता रहा   खाना खा कर   फिर पानी की तलाश मे इधर इधर देखा   निराश हो कर   ढेर सा थूक इकट्ठा कर पी गया   उदास पेड़ और सूख गया।

पिता, पिता नहीं होता!

पिता   पीटता है     इसलिए पिता नहीं होता।   पिता   पालता है!   तो इससे क्या होता है।   पिता   तुम्हारे प्रत्येक सुख दुख सहता है!   इससे क्या होता है ?   यह प्रत्येक पिता करता है।   तो ,   पिता केवल पिता होता है!

कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...

बूँद !

एक बूँद ऊपर उठी   उठती चली गई     दूसरी बूँद भी उठी और उठती चली गई   उठती चली गई   इसके बाद...एक के बाद एक   ढेरो बूँदें ऊपर उठती चली गई   आसमान की गोद में मिली   नृत्य करने लगी -   हम उड़ रही है   एकत्र हो कर दूजे का हाथ थामे   आसमान विजित करने     बूंदे मिलती गई   एक दूजे में सिमटती गई   घनी होती गई   और अब ...   अपने ही बोझ से   नीचे गिरने लगी   फिर   बिखरने लगी   अपने मूल स्वरुप में आकर   पृथ्वी पर बरसने लगी   और बन गई तालाब   आसमान छूने जा रही बूंदों को   अब प्रतीक्षा है   सूर्य की तपिश की   ताकि बन सके एक   बूँद  .