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सीएए के विरोध में कश्मीर की आज़ादी क्यों ?

दरअसल , कांग्रेसियों और वामियों ने देश की राजनीति को गर्त में डाल दिया है. २०१४ के , सदमे के बाद से , विपक्ष कुछ इतना विक्षिप्त हो चुका है कि उसे राजनीति , विरोध , देश भक्ति , राष्ट्रीयता , हिन्दू , हिंदुत्व , आदि शब्दों से एलर्जी हो चुकी है. इनका केवल एक ही लक्ष रह गया है , किसी भी तरीके से कुछ ख़ास शब्दों का बार बार उपयोग और विरोध. २०१९ में बुरी तरह से हारने के बाद विपक्ष को , ख़ास तौर पर कांग्रेस को लगने लगा है कि वह कभी केंद्र की सत्ता में वापस आने वाले नहीं. दूसरी बार सत्ता में आने के बाद , जिस प्रकार से NDA सरकार ने देशहित में निर्णय लिए , इससे विपक्ष को लगने लगा है कि अब उनका बैंड बजने ही वाला है. इनके कोढ़ में खाज पैदा की सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के निर्णय ने. इनके हाथों से मुस्लिम तुष्टिकरण का एक बड़ा हथियार निकल गया है. उस पर , केंद्र सरकार , जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर रही है , उससे तमाम राजनीतिक दलों , नौकरशाहों , पत्रकार और सौदे में दलाली खाने वालों में हडकंप है. NCP के नेताओं के दाऊद इब्राहीम से संबंधों के खुलासे ने खतरे की घंटी बजा दी. अब भला हो श...

बच्चे ने कहा

बच्चे ने पूछा - नाना , तुम्हारे नाना कहाँ हैं ? नाना- मेरे पास मेरे नाना नहीं हैं। बच्चा- तुम्हारे नाना तुम्हारे पास क्यों नहीं  हैं ? नाना- वह भगवान् के पास चले गए है। बच्चा- भगवान् के पास क्यों चले गए हैं ? नाना- भगवान् ने उन्हें बुला लिया था । बच्चा- भगवान् ने उन्हें क्यों बुला लिया ? नाना- जो लोग अच्छे काम करते हैं , भगवान् उन्हें बुला लेते हैं। बच्चा- भगवान उन्हें क्यों बुला लेते हैं ? नाना- क्योंकि , उन्हें भी अच्छे लोगों की ज़रुरत होती है। बच्चा (कुछ सोचने के बाद) - लोग अच्छे काम क्यों करते हैं! नाना , तुम अच्छे काम नहीं करना। वरना भगवान् तुम्हे भी बुला लेंगे।

अकेला

मैं अकेला ही था चलता रहा उस राह पर बना दिये थे पैरों के निंशान आज उस पगडंडी पर सैकड़ों चलते है जिस राह पर चला था मैं अकेला ।

बेटा आ गया !

माँ ने कहा था बेटा , जल्दी लौट आना बेटा शहर गया बेटे से मशीन बन गया मशीन की खट खट में माँ की पुकार खो गई बरसों बीत गए बेटा लौटा हाथों में नोटों का थैला था  लेकिन , माँ नहीं थी ! वह फोटो बन गई थी बेटे ने चन्दन की माला चढ़ा दी बोला - मैं आ गया माँ !

पांच हाइकू

घने बादल लो सूर्यदेव झांके आशा किरण। ##### आकाश पंछी छूना चाहे क्षितिज लौट आना है। ##### बहती हवा उड़ती घटाएं भी मनुष्य जैसे। ##### सड़क गीली घर- बाहर तक तन भी गीला ।  #### वृक्ष कहाँ हैं चिड़िया बोले कैसे हमारा घर।   

शिक्षक दिवस

आओ , खेलते हैं टीचर टीचर शिक्षक दिवस है न ! तुम मुझे पढ़ाओ मैं तुम्हे पढ़ाऊँ न तुम समझो न मैं तुम्हे समझा पाऊं यह जानते हुए कि मेरी विद्या तुम्हे तुम्हारी विद्या मुझे समझ में नही आएगी। फिर भी खेलते हैं टीचर टीचर आज शिक्षक दिवस है न !