गुरुवार, 6 जून 2013

बरसना

मेघों ने चाहा था
धरती पर बरसना
पर
पानी बन कर
बह गए।

2
बचपन में
जब मैं गिरता था
माँ की आँखों में
करुणा बरसती थी
जबसे /बड़े होकर /मैंने
गिरना शुरू किया है
माँ की आँखों से
आंसुओं की गंगा बहती है।

3
ज़रूरी नहीं कि झुंड में
भेड़िये ही मिले
झुंड में लुटेरे भी चलते  हैं ।
लूट एक जशन  है
नेताओं का टशन है
खरीदारों की बस्ती में
बाज़ार ए हुस्न है।

4


 

सोमवार, 3 जून 2013

बाबू जी की सांस

बाप मर गया था शायद
बेटे ने निकट आकर
पहले धीमे से पुकारा
फिर ज़ोर से आवाज़ दी-
बाबू जी...बाबू जी।
बाबू जी की बंद पलकें नहीं काँपी
कृशकाय शरीर में
कोई थरथराहट नहीं हुई
फिर बेटे ने
बाबूजी की नाक के आगे हाथ रख दिया
हाथ को साँसों की गर्मी महसूस नहीं हुई
फिर भी
हाथ नहीं हटाया
मानो विश्वास कर लेना चाहता हो
कि, सांस चल रही/या बंद हो गयी
जब विश्वास हो गया
तब बेटे ने
पत्नी के पास जाकर कहा-
सांस बंद हो गयी है
सुन कर
पत्नी ने भी पति की तरह
चैन की सांस ली।

शनिवार, 18 मई 2013

हवा

हवा बहती है
हवा कुछ कहती है
हवा, किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती
तब भी नहीं,
जब वह/बहुत तेज़ बहती है
केवल बालों से खेलती है
कपड़ों को अस्त व्यस्त कर देती है
फिर भी, नुकसान नहीं पहुंचाती
उस समय  भी नहीं
जब वह आँधी होती है
तब वह उखाड़ फेंकती है
उन कमजोर पेड़ों और वस्तुओं को
जो/नाहक अपने अहंकार में
उसका रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं
ऐसे ही कमजोर और अपनी जड़ से उखड़े हुए
दूसरे कमज़ोरों को नुकसान पहुंचाते हैं
हवा मंद मंद हो
या तीव्र
एक ही संदेश देती है
फुसफुसाते हुए या गरजते हुए-
रास्ता मत रोको
खुद भी आगे बढ़ो
दूसरों को भी बढ़ने दो
बाधाओं को जड़ से उखड़ना ही है।

 

बुधवार, 8 मई 2013

नीम

मैंने नीम से पूछा-
तू इतनी कड़वी क्यों है?
जबकि, तू
सेहत के लिए फायदेमंद है।
नीम झूमते हुए बोली-
अगर मैं कड़वी न होती
तो, तुझे
कैसे मालूम पड़ता
कि कड़वेपन के कारण
सेहतमंद नीम की भी
कैसे थू थू होती है।

बुधवार, 1 मई 2013

मैं

मैं पंडित हूँ, लेकिन लिखता नहीं,
मैं मूर्ख हूँ, लेकिन दिखता नहीं।
ताकत को मेरी तौलना मत यारो,
महंगा पड़ूँगा कि मैं बिकता नहीं।

2
तुम जो साथ होते हो, साल लम्हों में गुज़र जाता है।
जब पास नहीं होते लम्हा भी साल बन जाता है।

3
लम्हों की खता में उलझा रहा मैं सालों तक,
होश तब आया जब बात आ गयी बालों तक।


4
ज़रूरी नहीं कि हम सफर ही साथ चले,
कभी राह चलते भी साथ हो जाते हैं।
अजनबी तबीयत से उबरिए मेरे दोस्त,
कुछ दोस्त ऐसे भी  बनाए जाते।
5
मैं पगडंडियों को हमसफर समझता रहा,
जो हर कदम मेरा साथ छोड़ती रहीं।
6.
इस भागते शहर में रुकता नहीं कोई
केवल थमी रहती है राह सांस की तरह ।

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

वेटिंग रूम

दोस्त,
तुम वेटिंग रूम हो
वेटिंग रूम में
यात्री आते हैं, ट्रेन की प्रतीक्षा करते हैं
और ट्रेन आने पर
खिले चेहरे के साथ चले जाते हैं
पर वेटिंग रूम
कहीं नहीं जाता
वह बैठा रहता है एक जगह
देखता रहता है एकटक
यात्रियों को और ट्रेन को
आते और जाते
पूरी भावहीनता के साथ
न तो यात्रियों के आने पर खुश होता है
न ट्रेन आने के बाद
उनके चेहरे पर बिखरी  प्रसन्नता का सहभागी बनता है
वह सिमटा रहता है
जन्म के समय लिख दिये गए
अपने एकाकीपन में ।

अरे अमेरिका !

ऐ अमेरिका
तुमने मुझे बेइज्जत किया
इसलिए कि माइ नेम इज खान!
तुम ने शाहरुख को किया
मैंने कुछ नहीं कहा
क्योंकि वह नाचता गाता है
ऐसे भांड मिरासियों की क्या इज्ज़त
पर आइ एम पॉलिटिशन खान
मेरी तिजोरी में गिरवी हैं
एक प्रदेश के करोड़ों मुसलमान
मेरे पैरों में जन्नत ढूंढा करती हैं एक पूरी सरकार
पर तुमने मेरी तलाशी ली
इसलिए कि माइ नेम इज खान !
अरे मैं तुम्हारे देश बॉम्ब फोड़ने नहीं आया था
मेरी तमन्ना थी
उस हरवर्ड को देखने की
जिसे तुम लोगों ने मोदी को देखने नहीं दिया
सचमुच उस दिन बेहद खुशी हुई थी
पर मुझे मोदी की श्रेणी में क्यों रखा
भाई जान मैं वही हूँ
जिसे मोदी ने मरवाया था
और जिसका तुम्हें बुरा लगा था।
और जिसके कारण तुम मोदी को अपने देश घुसने नहीं देते
अरे अमेरिका
कुछ तो फर्क समझों
मोदी और खान का
हिन्दू और मुसलमान का!

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...