दोस्त,
तुम वेटिंग रूम हो
वेटिंग रूम में
यात्री आते हैं, ट्रेन की प्रतीक्षा करते हैं
और ट्रेन आने पर
खिले चेहरे के साथ चले जाते हैं
पर वेटिंग रूम
कहीं नहीं जाता
वह बैठा रहता है एक जगह
देखता रहता है एकटक
यात्रियों को और ट्रेन को
आते और जाते
पूरी भावहीनता के साथ
न तो यात्रियों के आने पर खुश होता है
न ट्रेन आने के बाद
उनके चेहरे पर बिखरी प्रसन्नता का सहभागी बनता है
वह सिमटा रहता है
जन्म के समय लिख दिये गए
अपने एकाकीपन में ।
तुम वेटिंग रूम हो
वेटिंग रूम में
यात्री आते हैं, ट्रेन की प्रतीक्षा करते हैं
और ट्रेन आने पर
खिले चेहरे के साथ चले जाते हैं
पर वेटिंग रूम
कहीं नहीं जाता
वह बैठा रहता है एक जगह
देखता रहता है एकटक
यात्रियों को और ट्रेन को
आते और जाते
पूरी भावहीनता के साथ
न तो यात्रियों के आने पर खुश होता है
न ट्रेन आने के बाद
उनके चेहरे पर बिखरी प्रसन्नता का सहभागी बनता है
वह सिमटा रहता है
जन्म के समय लिख दिये गए
अपने एकाकीपन में ।
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