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संदेश

छेद

एक बार मैंने आसमान में छेद कर दिया मैंने आसमान से कुछ गिरने के अंदेशे से सावधानीवश अपने सर पर हाथ रख लिया मगर कुछ न हुआ, ना आसमान गिरा, न कुछ और. इससे मैं उत्साहित हुआ आसमान में छेद करने में सफल होने के उत्साह में मैंने अपने घर की छत में छेद कर दिया थोड़ी देर बाद, बदल घिर आये जम कर बरसे छत पर मेरे बनाये छेद से बारिश का पानी धार बन कर मेरे सर को चोट पहुंचा रहा था.

आदमी घड़ी नहीं

आदमी समय के साथ नहीं बदलते समय के साथ मौसम बदलते हैं, महीने हफ्ते बीतते हैं, दिन और रात होती हैं घड़ी की सुइयां सरकते हुए स्थान बदलती है। मगर आदमी ! ऐसा नहीं करता वह समय से अनुभव लेता है इस अनुभव से सीख कर खुद को मौसम के अनुकूल ढालता है हफ्ते महीने बीतने के बाद हर साल जन्मदिन की खुशियां मनाता है दिन में अपने काम करता है रात में घर को समय देता है आराम करता है वह घड़ी की सुई नहीं है क्यूंकि घड़ी की सुइयां समय नहीं बताती बेटरी के इशारे पर चलती है। आदमी किसी के इशारों का ग़ुलाम नहीं है भाई।

पाँच बातें

 (1) छोटे पैर वालों पर हँसना कैसा ! तीन लोक नापने वाले वामन ऐसे ही होते हैं। (2) हम राम नहीं हो सकते क्यूंकि, शबरी ने राम को जूठा कर वह बेर खिलाये जो सचमुच मीठे थे। राम ने इसमे भक्ति देखी हमने शबरी की जाति देखी। (3) इंसान और फल का फर्क पेड़ से फल गिरता है लोग उठा कर खा जाते हैं लेकिन जब इंसान गिरता है तो उसे कोई उठाता तक नहीं, सभी हँसते है। क्यूंकि, जहां गिरा फल मीठा होता है वहीं गिरा इंसान विषैला होता है। (4) नन्ही चींटी का रेंगना सबक है वह रेंग रेंग कर भी भोजन मुंह मे दबा कर घर ही जाती है। (5) जीवन कितना है ? एक सौ साल या हजार साल अगर सांस लेते रहो हर सांस के साथ सौ साल तक अगर कुछ करते रहो तो हजारों हज़ार साल भी। (6) 'जाने दो' 'हटाओ' 'फिर देखेंगे' 'हम ही हैं क्या' दोस्त टालने के लिए ज़्यादा शब्द ज़रूरी नहीं।

ढाबे के गुलाब

ये वह फूल नहीं हैं जो चाचा नेहरु की जैकेट के बटन होल से टंगा नज़र आता है. कहाँ चाचा के दिल से सटा सुर्ख गुलाब कहाँ पसीने और गंदगी से बदबूदार पीले चेहरे और खुरदुरे हाथों वाले ढाबे पर बर्तन मांजते बच्चे ! उनके चारों ओर रक्षा करने वाले गुलाब के कांटे नहीं उन्हें बींध देने वाले नागफनी काँटों की भरमार है. ऐसे बच्चे चाचा के गुलाब कैसे हो सकते हैं? फिर, क्या कभी किसी ने देखे हैं चाचा की नेहरु जैकेट पर सजा मुरझाया गुलाब?

अमर जीवन

अगर जीवन सिर्फ इतना होता कि मरने के साथ खत्म हो जाता तब वह लोग अमर क्यूँ हुए होते जो सदियों से हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हम उन्हे आज भी उनकी वर्षगांठ या पुण्य तिथि पर याद करते हैं.

सपने

मैं कई दिन सोया नहीं खुली आँख लिए जागता रहा होता यह था कि मैं सोते हुए सपने बहुत देखता था फिर यकायक आँख खुल जाती थी सपने खील खील हो बिखर जाते थे. मुझे सपनों का टूटना बड़ा ख़राब लगता था. ऐसे ही कई दिन बीत गए,   मुझे जगे हुए कि एक दिन ख्वाब मेरे सामने आ गया बोला- तुम सो क्यूँ नहीं रहे ? मैंने पूछा- तुम कौन हो पूछने वाले यह मेरा निजी मामला है. ख्वाब बोला- यही तो कमी है तुम ख्वाब देखने वालों की कि आँख खुलते ही तुम मुझे भूल जाते हो. अरे, अगर तुम्हे जागने के बाद मैं याद रहूँगा तभी तो तुम मुझे साकार कर पाओगे भाई, सपने जाग कर भूल जाने के लिए और टूटने पर रोने के लिए मत देखा करो.

आसमान गिरा

एक दिन आसमान मेरे सर पर गिर पड़ा आसमान के बोझ से मैं दबा और फिर उबर भी गया. आसमान हंसा- देखा, तुम मेरे बोझ से दब गए मैंने कहा- लेकिन गिरे तो तुम !!!