(1)
छोटे पैर वालों पर
हँसना कैसा !
तीन लोक नापने वाले वामन
ऐसे ही होते हैं।
(2)
हम राम नहीं हो सकते
क्यूंकि,
शबरी ने राम को
जूठा कर वह बेर खिलाये
जो सचमुच मीठे थे।
राम ने इसमे भक्ति देखी
हमने शबरी की
जाति देखी।
(3)
इंसान और फल का फर्क
पेड़ से फल गिरता है
लोग उठा कर खा जाते हैं
लेकिन जब इंसान गिरता है
तो उसे कोई उठाता तक नहीं,
सभी हँसते है।
क्यूंकि,
जहां गिरा फल मीठा होता है
वहीं गिरा इंसान विषैला होता है।
(4)
नन्ही चींटी का रेंगना
सबक है
वह रेंग रेंग कर भी
भोजन मुंह मे दबा कर
घर ही जाती है।
(5)
जीवन कितना है ?
एक सौ साल या हजार साल
अगर सांस लेते रहो
हर सांस के साथ सौ साल तक
अगर कुछ करते रहो
तो हजारों हज़ार साल भी।
(6)
'जाने दो'
'हटाओ'
'फिर देखेंगे'
'हम ही हैं क्या'
दोस्त टालने के लिए
ज़्यादा शब्द ज़रूरी नहीं।
छोटे पैर वालों पर
हँसना कैसा !
तीन लोक नापने वाले वामन
ऐसे ही होते हैं।
(2)
हम राम नहीं हो सकते
क्यूंकि,
शबरी ने राम को
जूठा कर वह बेर खिलाये
जो सचमुच मीठे थे।
राम ने इसमे भक्ति देखी
हमने शबरी की
जाति देखी।
(3)
इंसान और फल का फर्क
पेड़ से फल गिरता है
लोग उठा कर खा जाते हैं
लेकिन जब इंसान गिरता है
तो उसे कोई उठाता तक नहीं,
सभी हँसते है।
क्यूंकि,
जहां गिरा फल मीठा होता है
वहीं गिरा इंसान विषैला होता है।
(4)
नन्ही चींटी का रेंगना
सबक है
वह रेंग रेंग कर भी
भोजन मुंह मे दबा कर
घर ही जाती है।
(5)
जीवन कितना है ?
एक सौ साल या हजार साल
अगर सांस लेते रहो
हर सांस के साथ सौ साल तक
अगर कुछ करते रहो
तो हजारों हज़ार साल भी।
(6)
'जाने दो'
'हटाओ'
'फिर देखेंगे'
'हम ही हैं क्या'
दोस्त टालने के लिए
ज़्यादा शब्द ज़रूरी नहीं।
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