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संदेश

पीठ

वह मुझे जानते थे, अच्छी तरह पहचानते  थे उस दिन उन्होने मुझे देखा पहचाना भी, फिर मुंह फेर कर दूसरों से बात करने लगे। फिर भी मैं खुश था। क्यूंकि, मतलबी यारों की पीठ ही अच्छी लगती है।

दस्तक

देखो, सामने वाला दरवाज़ा बंद है. तुम उसे खटखटाओ. आम तौर पर लोग बंद दरवाज़े नहीं खटखटाते क्यूंकि, अजनबी दरवाज़े नहीं खटखटाए जाते. इसलिए कि पता नहीं कैसे लोग हों बुरा मान जाएँ. लेकिन इस वज़ह से कहीं ज्यादा कि, हम अजनबियों से बात करना पसंद नहीं करते. लेकिन मैं, बंद दरवाज़े खटखटाता हूँ, पता नहीं, बंद दरवाज़े के पीछे के लोगों को मेरी ज़रुरत हो. मगर इससे कहीं ज्यादा, मैं नए लोगों को जान जाता हूँ. मैं उन्हें जितना दे सकता हूँ. उससे कहीं ज्यादा पाता हूँ. इसी लिए, बंद दरवाज़े खटखटाता हूँ.

काश

आसमान पर  ऊंचे, ऊंचे और बहुत  ऊंचे उड़ते हुए पंछियों को कोई कुछ नहीं कहता. मगर लोग मुझसे कहते हैं-  बहुत उड़ रहे हो, इतना ऊंचा न उड़ो  नहीं तो गिर जाओगे. जंगल में स्वछन्द विचरते कूदते फांदते पशुओं को कोई मना नहीं करता  पर लोग मुझसे क्यूँ कहते हैं इतना स्वछन्द क्यूँ विचरते हो अपनी ज़िम्मेदारी समझो, इतनी लापरवाही ठीक नहीं . ऐसे में  मैं सोचता हूँ- काश मैं खुले आसमान के नीचे जंगल में होता.

यह बड़े

               एक पार्क में छोटे बच्चे पार्क में खेलते हैं. उनके बड़े उनसे दूर बैठ कर, गपियाया करते हैं .  कभी कभी चिल्ला देते हैं- यह न करो, लड़ों नहीं, यह गन्दी बात है, मिटटी में क्यूँ लोट रहे हो ? आदि आदि, न जाने क्या क्या .  मुझे समझ में नहीं आता, यह बड़े दूर बैठ कर बच्चो को उपदेश क्यूँ देते हैं? उनकी तरह लड़ते हुए, मिटटी में लोटते और सब कुछ करते हुए खेलते क्यूँ नहीं ?

मेम और फादर

                मैम और फादर ओ मेरे मास्टर जी, हम छात्र तुम्हे मास्टर जी कहते थे, टीचर जी नहीं. इसके बावजूद तुमने हमें टीच भी किया.  इसी टीच यानि शिक्षा का परिणाम है कि मैं ईमानदारी से नौकरी कर सका, निष्ठा से अपना काम कर सका मेहनत करके जन सेवा की. पर अब कोई,  मास्टर या मास्टरनी नहीं . अब फादर या मैम हैं, जो सिखाते हैं- बच्चों आपसे कोई बड़ा नहीं, आप सभी के फादर यानि बाप हो, कोई हम नहीं  सभी 'मैं' हैं जिनके आगे 'मैं' लगा हो, वह मैम और क्या सिखाएंगी. इसीलिए, आज मैं की संख्या ज्यादा है, जनता के सेवक कम बाप ज्यादा हैं .

बादल का श्राप

              बादल का श्राप एक बार बेहद सूखा पड़ा, अनाज पैदा होना बंद हो गया . पानी के बिना धरती का सीना तक फट गया लोग दुआ करने लगे, आसमान की ओर हाथ उठा कर,  जार जार रोने लगे . यह देख, आसमान द्रवित हो उठा. उसने बादल को बुलाया धरती पर बरसने की आज्ञा दी.  बादल पानी बरसाने लगा, पानी इतना बरसा, इतना बरसा की बाढ़ आ गयी.  धरती  जलमग्न हो गयी. मवेशी मरने लगे पहले घर डूबे, फिर लोग डूबने लगे प्रकृति का प्रकोप देख कर लोग बिलखने लगे, आसमान को कोसने लगे मनुष्य का ऐसा चरित्र देख कर आसमान ग्लानी से भर गया उसकी आँखों में, सतरंगी आंसूं झिलमिला रहे थे.  यह देख कर बादल  फूट फूट कर रोने लगा .