शुक्रवार, 10 जून 2016

चौराहे पर

हर चौराहे पर
खडी कर दी हैं
दीवारें
यह दीवारे रोकती नहीं
रोकना
प्रतिरोध को जन्म देता है
क्रांति की ओर  पहला कदम है
यह दीवारे
आदमी को भटकाती हैं
क्योंकि,
भटका हुआ आदमी
कभी वापस नहीं आ पाता 

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

लगते हो अच्छे !

सच में कहूं 
बताऊ कैसे,
तुम मुझको 
लगते हो अच्छे !
बीता बचपन
जवां हुई यादें
दिन का हंसना
रात की बातें
हंसते मुख पर
दांत चमकते
जैसे मोती हों सच्चे !
तुम आते थे
फिर जाने को,
कह जाते थे
फिर आने को
कब तक होगी आवाजाही
बता भी देते
नहीं थे बच्चे !
बीता बचपन
आई जवानी
भूली बिसरी
वही कहानी
बिदा हुए तुम
उन यादों से
जिसमे आते थे  सज के. 

गुरुवार, 7 जनवरी 2016

आग

वह जिंदा
आग उगलता रहा
जीवित रहा जब तक
मरा
इलेक्ट्रिक फर्नेस में
आग का गोला बन राख हो गया
भक से।

रविवार, 27 दिसंबर 2015

मृतक

मैं मृत हूँ
मृतक को दर्द नहीं होता
शायद इसीलिए मुझे
ज़िन्दों के दर्द का
एहसास नहीं होता।  

मंगलवार, 24 नवंबर 2015

कविता

कभी
एकांत में मिलो
मैं तुम्हे छूना नहीं चाहूँगा
तुम्हे देखूँगा
महसूस करूंगा
जो एहसास
देखने और महसूस करने में है
वह छूने में कहा

दीपक और उजाला

छोड़ दो उस जगह को
जहाँ उजाला हो
उठाओ एक दीपक
चल दो
जहाँ अँधेरा हो।

२.
बाती की ज़रुरत
अँधेरा
जगमगाने के लिए

३.
ढेरों
बड़े दीपों के बीच
एक छोटा दीपक
उदास- सा
बड़े दीपों की रोशनी
मद्धम कर रही थी
नन्हे दीप की रोशनी
शाम बढ़ी
लोग आये
दीप उठा कर चले गए
अकेला रह गया नन्हा दीप
इधर उधर देखा
एक नन्हा बच्चा
चला आ रहा था उसके पास
नन्हे दीपक को
नन्हीं हथेलियों में उठाया
ले गया
उस अँधेरे कोने में
जहाँ बड़े नहीं पहुंचे थे
दीपक मुस्कुरा रहा था।

४.
बाती जल कर
काली रह जाती है
रोशनी फैलाने के बाद
तेल उड़ जाता है
हवा में
बाती की मदद करने के बाद
रह जाती है दियाली
अपने में समेटे
जले तेल और बाती की
कुरूपता ।

५.
जला तेल
और रुई की बाती
लौ को घमंड क्यों
अपनी रोशनी पर !

राजेंद्र प्रसाद कांडपाल

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...