छोड़ दो उस जगह को
जहाँ उजाला हो
उठाओ एक दीपक
चल दो
जहाँ अँधेरा हो।
२.
बाती की ज़रुरत
अँधेरा
जगमगाने के लिए
३.
ढेरों
बड़े दीपों के बीच
एक छोटा दीपक
उदास- सा
बड़े दीपों की रोशनी
मद्धम कर रही थी
नन्हे दीप की रोशनी
शाम बढ़ी
लोग आये
दीप उठा कर चले गए
अकेला रह गया नन्हा दीप
इधर उधर देखा
एक नन्हा बच्चा
चला आ रहा था उसके पास
नन्हे दीपक को
नन्हीं हथेलियों में उठाया
ले गया
उस अँधेरे कोने में
जहाँ बड़े नहीं पहुंचे थे
दीपक मुस्कुरा रहा था।
४.
बाती जल कर
काली रह जाती है
रोशनी फैलाने के बाद
तेल उड़ जाता है
हवा में
बाती की मदद करने के बाद
रह जाती है दियाली
अपने में समेटे
जले तेल और बाती की
कुरूपता ।
५.
जला तेल
और रुई की बाती
लौ को घमंड क्यों
अपनी रोशनी पर !
राजेंद्र प्रसाद कांडपाल
जहाँ उजाला हो
उठाओ एक दीपक
चल दो
जहाँ अँधेरा हो।
२.
बाती की ज़रुरत
अँधेरा
जगमगाने के लिए
३.
ढेरों
बड़े दीपों के बीच
एक छोटा दीपक
उदास- सा
बड़े दीपों की रोशनी
मद्धम कर रही थी
नन्हे दीप की रोशनी
शाम बढ़ी
लोग आये
दीप उठा कर चले गए
अकेला रह गया नन्हा दीप
इधर उधर देखा
एक नन्हा बच्चा
चला आ रहा था उसके पास
नन्हे दीपक को
नन्हीं हथेलियों में उठाया
ले गया
उस अँधेरे कोने में
जहाँ बड़े नहीं पहुंचे थे
दीपक मुस्कुरा रहा था।
४.
बाती जल कर
काली रह जाती है
रोशनी फैलाने के बाद
तेल उड़ जाता है
हवा में
बाती की मदद करने के बाद
रह जाती है दियाली
अपने में समेटे
जले तेल और बाती की
कुरूपता ।
५.
जला तेल
और रुई की बाती
लौ को घमंड क्यों
अपनी रोशनी पर !
राजेंद्र प्रसाद कांडपाल
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