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सितंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अकेला

मैं अकेला ही था चलता रहा उस राह पर बना दिये थे पैरों के निंशान आज उस पगडंडी पर सैकड़ों चलते है जिस राह पर चला था मैं अकेला ।

बेटा आ गया !

माँ ने कहा था बेटा , जल्दी लौट आना बेटा शहर गया बेटे से मशीन बन गया मशीन की खट खट में माँ की पुकार खो गई बरसों बीत गए बेटा लौटा हाथों में नोटों का थैला था  लेकिन , माँ नहीं थी ! वह फोटो बन गई थी बेटे ने चन्दन की माला चढ़ा दी बोला - मैं आ गया माँ !

पांच हाइकू

घने बादल लो सूर्यदेव झांके आशा किरण। ##### आकाश पंछी छूना चाहे क्षितिज लौट आना है। ##### बहती हवा उड़ती घटाएं भी मनुष्य जैसे। ##### सड़क गीली घर- बाहर तक तन भी गीला ।  #### वृक्ष कहाँ हैं चिड़िया बोले कैसे हमारा घर।   

शिक्षक दिवस

आओ , खेलते हैं टीचर टीचर शिक्षक दिवस है न ! तुम मुझे पढ़ाओ मैं तुम्हे पढ़ाऊँ न तुम समझो न मैं तुम्हे समझा पाऊं यह जानते हुए कि मेरी विद्या तुम्हे तुम्हारी विद्या मुझे समझ में नही आएगी। फिर भी खेलते हैं टीचर टीचर आज शिक्षक दिवस है न !

अर्थ व्यवस्था : ५ क्षणिकाएं

विरोधियों की हाय हाय का सेशन बाज़ार में  इन्फ्लेशन। @ खुदरा में न थोक में नज़र आती है महंगाई हर छह महीने के महंगाई भत्ते में नज़र आई। @@ बचत में जाए घट  क़र्ज़ में आये न नज़र समझ लीजिये कि कम हो गई ब्याज दर। @@@ जब न चले बन्दूक , न गोला बारूद की मार फिर भी मचा हो दुनिया में हाहाकार समझ लीजिये कि छिड़ गई है ट्रेड वॉर। @@@@ अमेरिका , चीन और जापान पर जिसकी हो आस्था समझ लीजिये उसे भारत की अर्थ व्यवस्था।