माँ की आँखों में
आंसू नहीं
सूखे की आहट।
२
होंठों पर
मुस्कराहट आती नहीं
बेटी बिदा कर दी है।
३
जिस बेटे को
पीठ पर बैठने के लिए
अच्छी लगती थी
पिता की झुकी कमर
आज अच्छी नहीं लगती
बूढी कमर।
४
उन्हें भीख भी नहीं मिलती
इतनी फैला ली हथेली
लोगों ने पढ़ ली
हाथों की सभी रेखाएं
अभागा है यह।
५
भूकंप आया
पक्का मकान गिर गया
झोपड़ी नहीं गिरी
फिर भी
गरीब को दुःख
नन्हा दब गया था।
६
जीभ झूठ बोलती है
तो होंठ क्या करे
दांत क्यों नहीं काटता
जीभ को!
७
जोड़ घटाने में कमज़ोर है शायद
कि, फिर फिर गलती करता है
बहुत सोचने वाला
दिमाग।
८
पैर की ठोकरों ने
पत्थर बनाया
फिर भी लुढ़कता रहता
चुपचाप
होता नहीं खतरनाक
जब तक
कोई हाथ फेंकता नहीं।
९
जीभ ने क्या कहा
कान को सुनाई नहीं दिया
हाथ जो कर रहा था सब।
१०
बाल
काले होते हैं
सफ़ेद होते हैं
बढ़ते और कटते हैं
इसमे सर क्या करे !
मकान मालिक जो है।
आंसू नहीं
सूखे की आहट।
२
होंठों पर
मुस्कराहट आती नहीं
बेटी बिदा कर दी है।
३
जिस बेटे को
पीठ पर बैठने के लिए
अच्छी लगती थी
पिता की झुकी कमर
आज अच्छी नहीं लगती
बूढी कमर।
४
उन्हें भीख भी नहीं मिलती
इतनी फैला ली हथेली
लोगों ने पढ़ ली
हाथों की सभी रेखाएं
अभागा है यह।
५
भूकंप आया
पक्का मकान गिर गया
झोपड़ी नहीं गिरी
फिर भी
गरीब को दुःख
नन्हा दब गया था।
६
जीभ झूठ बोलती है
तो होंठ क्या करे
दांत क्यों नहीं काटता
जीभ को!
७
जोड़ घटाने में कमज़ोर है शायद
कि, फिर फिर गलती करता है
बहुत सोचने वाला
दिमाग।
८
पैर की ठोकरों ने
पत्थर बनाया
फिर भी लुढ़कता रहता
चुपचाप
होता नहीं खतरनाक
जब तक
कोई हाथ फेंकता नहीं।
९
जीभ ने क्या कहा
कान को सुनाई नहीं दिया
हाथ जो कर रहा था सब।
१०
बाल
काले होते हैं
सफ़ेद होते हैं
बढ़ते और कटते हैं
इसमे सर क्या करे !
मकान मालिक जो है।
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