रविवार, 17 जून 2012

सावन ( saawan )

रिमझिम सावन
भीगे आँगन
तन मन मेरा। ।
ताल तलैया
ता ता थईया
गिर कर नाचे बूंद।
पात पात पर
बात बात पर
बच्चे थिरके झूम।
मोद मनाए
गीत सुनाये
तन मन मेरा ।।
खेत तर गए
डब डब भर गए
क्यों भाई साथी।
हलधर आओ
खेत निराओ
सब मिल साथी।
लहके बहके
चटके मटके
तन मन मेरा । ।
बीज उगेंगे
पौंध बनेंगे
धरा से झाँके  ।
फसल उगेगी
बरस उठेगी
कृषक की आँखें ।
घिर घिर आवन
सिहरत सावन
तन मन मेरा।






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