सोमवार, 25 जून 2012

क्यूँ नहीं बदलती हमारी मानसिकता ?

यह छोटी खबर लखनऊ से है। लखनऊ के जिलाधिकारी के आवास के सामने मर्सिडीज स्पोर्ट्स कार  पर सवार  एक रईसजादे ने एक मोटर साइकल सवार को इसलिए गोली मार दी कि उसने कार को पास नहीं दिया था।  उस रईसजादे की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि वह रईसज़ादा उस दिन अपने महिला मित्र के साथ एक रेस्तरां में गया था। वहाँ एक मोटर साइकल से आए लड़के ने लड़की से छेड़खानी की। जब लड़का लड़की बाहर आकर अपनी कार से जा रहे थे तो मोटर साइकल सवार युवक ने कार का पीछ किया और फिर लड़की पर भद्दे कमेंट्स किए। इस पर नाराज़ रईसजादे ने मोटर साइकल को ओवरटेक कर पहले सवार की पिटाई की फिर फायर झोंक दिया।
इस खबर से एक्शन थ्रिलर फिल्म निर्माताओं को सीन क्रिएट करने की खाद मिल सकती है। चाहे तो वह इसका उपयोग कर लें।
इस खबर का दूसरा पहलू भी है। यह आधुनिक होते और पाश्चात्य सभ्यता तेज़ी से अपनाते लखनऊ की त्रासदी भी है। अब लखनऊ के माल्स में जवान लड़के लड़कियां हाथों और कमर में हाथ डाले घूमने लगे है, होटलों और रेस्तरोन में खाने लगे हैं। लेकिन ब्रांडेड कपड़े पहने लखनऊ के युवाओं की मानसिकता अभी भी नहीं बदली है। आज भी किसी दूसरे लड़के के साथ घूमती लड़की, बशर्ते वह बहन न हो, माल है। उसे स्थानीय भाषा में छिनाल भी कहा जाता है। ऐसी लड़कियां गली गली छिनेती करती घूमती हैं। यह सस्ती होती हैं। इन्हे छेड़ा जाना, इनका दुपट्टा (अगर पहने हों तो) खींच लिया जाना किसी राह चलते शोहदे का अधिकार है।
आखिर क्यूँ नहीं बदली लखनऊ की मानसिकता? अभी भी हम पेंट शर्ट के अंदर विचारों से वैसे ही नंगे हैं, जैसे हमारे बाप दादा हुआ करते थे। इससे साफ है कि विकास नंगे आदमी को कपड़े तो पहना सकता है, पर उसके नंगे विचार नहीं बदल सकता। इसका प्रमाण वह आईपीएस अधिकारी भी है जो यह कहता है कि अगर मेरी घर की लड़की इस तरह भाग जाती तो मैं उसे ढूंढ कर जान से मार देता । ज़ाहिर है कि आईपीएस अधिकारी पढ़ा लिखा भी होता है और खुले विचारों वाला भी माना जाता है। साफ है कि आधुनिक ब्रांडेड कपड़े पहन लेने भर से मानसिक नंगई  खत्म नहीं हो जाती है। क्या इस पर कभी किसी महिला आयोग ने सोचा? नहीं,  क्यूंकी मानसिकता बदलने की तमीज़  इस आयोग  में नहीं। इससे सुर्खियां भी तो नहीं मिलती । वैसे भी जब महिला आयोग  खुद पुरुषों  द्वारा ईज़ाद भोगवादी अंग्रेज़ी शब्द सेक्सी को सही मानेगा तो ऐसा ही होगा ।

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