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संदेश

ममता बनर्जी के बंगाल में मुस्लिम राष्ट्र

बंगाल में एक महिला को १५ दिन पहले कोड़ों से पीटा गया. इस पिटाई का सरगना ममता बनर्जी के दल तृण मूल कांग्रेस का विधायक तजमुल हक़ था. जब यह बात सामने आई और उससे इस विषय में पूछा गया तो विधायक ने कहा कि वह महिला चरित्रहीन दुष्ट जानवर थी. इसलिए उसकी पिटाई की गई. क्योंकि , मुस्लिम राष्ट में यह संभव नहीं. ध्यान रहे कि पाकिस्तान बनाने के लिए पहली बड़ी आहट अविभाजित बंगाल के नोआखाली से १९४६ में आई थी. उस समय ५००० हिन्दुओं को मार डाला गया था. महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था. हजारों हिन्दुओं को जबरन मुस्लमान बनाया गया था. नोट - देख लेना कि बीजेपी इस मामले को लोकसभा या राज्यसभा में बिलकुल नहीं उठायेगी.

अल्पना

आज भी तुम जब मुस्कराती हो  लजाती सकुचाती हो  रक्ताभ अपना मुख नीचे झुकाती हो तुम्हारे कपोलो की लालिमा मेरे हृदय मे अंकित कर देती है  प्रेम की अल्पना। 

हाइकु चार

  साधु जा रहे बह रही वायु भी गति निर्बाध। 2 रोता बालक बादल घिर आये जल ही जल। 3 सब ने कहा बेलगाम था घोड़ा रुकता कैसे! 4 नंगा भिखारी वृक्ष बिना पहाड़ कब ढकेंगे!

अंततः

पक्षी ने अनुभव किया  उसका अंत निकट है  पंख शिथिल हो रहे हैं  अधिक साथ नहीं दे पा रहे  तो क्या विश्राम कर लूं ?  अंतिम विश्राम! फिर सोचा  जब विश्राम ही करना है तो  एक ऊँची उड़ान भर लूँ  कदा चित नई ऊंचाई छू लूं  अनंत तक  अंत तक  उड़ चला  ऊँचा  ऊँचा  और अधिक ऊँचा  अनंत की ओर  अंततः। 

नाम

क्या तुम   मुझे जानते हो !   नहीं बिलकुल नहीं   तुम मुझे नहीं जानते   तुम मेरा नाम जानते हो बस !       २-   नाम क्या है ?   उसने जग में बड़ा नाम किया   उसने नाम बदनाम कर दिया   पर यहाँ नाम था   तुम्हारा दिया हुआ   वास्तव में यह नाम नहीं था.       ३-   रावण कौन था ?   इस प्रश्न के भिन्न उत्तर मिलेंगे   रावण प्रकांड पंडित था   रावण दुष्कर्मी था   राक्षस था   असल में वह क्या था   उसका नाम कोई नहीं जानता !       ४-   नाम क्या है ?   नाम अपने आप में अर्थ है   कर्मों का   जो आप कर जाते है।             ५-   नयनसुख अँधा है   दरिद्र नारायण सेठ है   नेता वाचाल है   बहरा श्रोता है   लखपत की एक पत्नी है   नाम में क्या रखा है ?

विषय

हास्य का अंत है  इति'हास  यानि अतीत का रोनाधोना.  २  गणित  अंकों का जोड़-घटाना-गुणा-भाग  ठीक रिश्तों की तरह  जहाँ अंततः  रिश्तेदार भाग जाते है। 

कौन सी धूप हो!

एक धूप होती है  जमीन से उठ कर  चढ़ती जाती है  राहगीर के सर तक  ग्रीष्म मे यह धूप  व्याकुल कर देने वाला ताप देती है फिर धराशायी हो जाती है  शरद ऋतु में धूप  नर्म ताप देती है  राहत देने वाला  यह धूप भी  धराशायी हो जाती है  पर यात्री को  प्रतिक्षा रहती है  शरद की धूप की।  तुम  क्या हो ?