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मुसलमानों को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भड़काने में बुरे फंसे हर्ष मंधेर

एक हैं हर्ष मंधेर ! उन्हें जानने के लिए इतना बताना काफी होगा कि फेसबुक/ट्विटर पर आपको कुछ साम्यवादी सोच वाले , पेंट के अन्दर लंगोट पहनने के बावजूद खुद को नंगा दिखाने वाले , पढ़े लिखे आग उगलने वाले ड्रैगन जैसे ढेरों फेसबूकियों/ट्विटरातियो की तरह ही है हर्ष मंदर. विदेशी NGO से इन लोगों को भारी-भरकम मदद मिलती रहती है. कांग्रेस मुख्यालय पर तो इनके लिए खजाना खुला रहता है. उन्होंने एक एंटी CAA रैली में मुसलमानों को भड़काने के लिये धुंआधार भाषण करते हुए ऐलान कर दिया कि हमें सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास नहीं है. लेकिन हमें जाना इनके पास ही होगा. ऐसे न जाने कितनी तकरीरे की हैं इन महाशय ने. यह महाशय अभी एक अपील लेकर सुको पहुँच गए कि बीजेपी वाले दिल्ली में दंगा करवा रहे हैं. इसके नेताओं के खिलाफ कार्यावाही के लिए पुलिस पुलिस को निर्देशित करें. इसे देखते हुए कुछ लोगों ने हर्ष मंधेर की इसी स्पीच का टेप लगाते हुए , उनके खिलाफ सुको की अवमानना की कार्यवाही के लिए रिट दाखिल कर दी. यह सुन कर सुको के तेवर चढ़ गए. CJI ने कहा कि पहले यह तय हो जाए कि आपको सुको पर विश्वास क्यों नहीं है. इस पर मंधेर के वकील ने ...

क्या ठीक होगा कि हाईकोर्ट का कोई जस्टिस १४ साल तक अपनी कुर्सी पर जमे रहे ?

जस्टिस मुरलीधर , दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले १४ सालों से जमे हुए थे. अमूमन एक सरकारी नौकर को किसी एक जगह पर ५ साल से ज्यादा नहीं रखा जाता. आईएएस/आईपीएस अधिकारियों को भी इस प्रकार के स्थानान्तरणों को झेलना पड़ता है. ऐसे में जस्टिस मुरलीधर में ऎसी क्या खासियत थी कि उन्हें १४ सालों तक दिल्ली हाईकोर्ट में ही बनाए रखा गया , जबकि दूसरे उच्च न्यायालय भी देश में हैं ? यह जांच का विषय बनता है कि जस्टिस के ट्रान्सफर पर दिल्ली के वकील क्यों आंदोलित थे ? जैसा कि माहौल बनाया जा रहा है कि उन्हें दिल्ली रायट के मामले में उनके निर्णय पर ट्रान्सफर किया गया , यह जांच का विषय है कि किस व्यक्ति या संस्था को जस्टिस के दिल्ली में भी बने रहने में दिलचस्पी थी. खुद cji को इसकी जांच करानी चाहिए ताकि न्यायालय की गरिमा को इस प्रकार के किसी ट्रान्सफर से आगे आंच न आये.

अंडर ट्रान्सफर जस्टिस मुरलीधरन का अंडर ट्रायल जस्टिस

जस्टिस मुरलीधरन अंडर ट्रांसफ़र थे। उन्होंने क्यों इतने महत्वपूर्ण मामले को सुना। उन्होंने इतना ही नहीं किया , पुलिस व्यवस्था को हतोत्साहित करने की कोशिश भी की । आप कैसे अदालत मे वीडियो चला कर आरोप लगा सकते हो और फैसला सुना सकते हैं ? आरोप लगाना जजों का काम नही है। अच्छा होता कि आप अदालत में सिनेमाघर लगाने के बजाय पुलिस कमिश्नर से कहते कि निष्पक्ष जॉंच की जाये। मान लेते हैं कि आप दिल्ली की हिंसा से बहुत आहत थे तो आपने यह क्यों नही कहा कि सुको को दो महीना पहले शाहीनबाग पर निर्णय सुना देना चाहिये था ? क्यों नही कहा कि सुप्रीम कोर्ट सीएए की वैधानिकता पर तुरंत निर्णय लेने में असफल रहा ? क्यों नही कहा कि कॉंग्रेस की नेता सोनिया गॉंधी ने मुसलमानों को सड़क पर उतर कर हिंसा करने के लिये उकसाया ? क्यों नही कहा कि राहुल गॉंधी और प्रियंकावाड्रा भी समान रूप से दोषी है ? क्यों नही इनकी स्पीच के वीडियो चलवाये ? क्यों नहीं कहा कि सलमान ख़ुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के जामिया और शाहीनबाग के भाषण मुसलमानों को उकसाने के लिये थे , जिनमें प्रधान मंत्री को गालियाँ दी गयी ? क्यों नही कहा कि अकबरुद्दीन ओवैस...

पश्चिम बंगाल में ममतादी का सॉफ्ट हिंदुत्व वाया फरहद हाकिम

पश्चिम बंगाल में एक फरहाद हाकिम नाम का एक शख्स है. वह तृणमूल कांग्रेस का सब कुछ है. वह वर्तमान में कलकत्ता का मेयर है. इस पार्टी में उसकी स्थिति ममता बनर्जी और उनके भतीजे के बाद तीसरे नंबर की है.वह कभी , बांग्लादेश की सीमा से सटी मुस्लिम बस्तियों को घमंड से दिखाते हुए कहता था- यह है मिनी पाकिस्तान. मैंने ऐसे बहुत से पाकिस्तान बना दिए हैं. ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने बंगाल को आंदोलित करना शुरू कर दिया. ममता बनर्जी की हिन्दू विरोधी और मुस्लिम समर्थक नीति ने हिन्दुओं को तृणमूल कांग्रेस से दूर करना शुरू कर दिया. इसके नतीजे में बंगालमें भाजपा मज़बूत हुई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से १८ सीटें झटक ली. इस घटना ने लोमड़ी ममता बनर्जी के कान खड़े कर दिए. उन्होंने अपने दाहिने हाथ फरहाद हाकिम को सक्रिय किया. फरहाद हाकिम ने राम- नामी ओढ़ ली. इस शिवरात्रि हाकिम शिव मंदिर में पूजा करता दिखाई दिया. इससे पहले , ममता बनर्जी की पार्टी की अभिनेत्री से एमपी बनी नुसरत जहाँ ने लोकसभा में हिन्दू सिंगार कर शपथ ली और दुर्गा पूजा मे जम कर हिस्सा लिया. लेक...

भारत में भी सेफ नहीं हिन्दू !

अभी फेसबुक पर ही एक पोस्ट सुन रहा था। एक हिन्दू महिला , जिसका घर मुस्लिम दंगाइयों ने जला दिया था , वह बिलखते हुए पूछ रही थी , ' जब हिन्दुस्तान में हिन्दू सेफ़ नहीं तो और कहॉं होगा ?' यह सवाल न मुसलमानों से है , न सेक्यूलर हिन्दुओ से है। यह सवाल देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी से है कि जवाब दीजिये , ' हिन्दू आपके रहते भारत में सेफ़ नहीं है तो और कहॉं होगा ? आप पर आज भी मुसलमान २००२ के दंगों का कलंक लगाते फिरते हैं। तब इन्हे आपके राज में इतनी हिम्मत कैसे मिल गयी कि मिनटों में दिल्ली आग के हवाले कर दी। हिन्दुओं को भारत में ही शरणार्थी बना दिया। इन लोगों के लिए कौन सा सीएए लायेंगे मोदी जी! जवाब तो देना होगा कि मुसलमानों में २००२ से पैदा हुआ आपका भय यकायक हवा कैसे हो गया कि यह लोग १५ दिसम्बर से दिल्ली में अब्दाली वाला तांडव कर रहे थे ?'

हम सेक्युलर हैं

१९५९ में अमरीकी राष्ट्रपति आइजनहोवर भारत आये थे. हमारे सेक्युलर पंडित जवाहरलाल नेहरु ने आनंद भवन की पुरानी टट्टी वाले कमरे में उन्हें सुलाया था. खुद फटी हुई शेरवानी और चूड़ीदार पहन रखी थी. चहरे पर फिटकार बरस रही थी. फिर १९६९ मे रिचर्ड निक्सन आये. तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपने पिता वाला कमोड धो पोंछ कर प्रधान मंत्री आवास के नौकरों वाले कमरे में रख दिया और उसमे निक्सन को ठहराया. उस समय इंदिरा गाँधी अपनी बाई की हुई सिली हुई धोती पहने थी. फटे ब्लाउज से झांकती अपनी लाज बचाने का वह भरसक प्रयास कर रही थी. १९७८ में जिमी कार्टर भारत आये. पूर्व कांग्रेसी मोरारजी देसाई प्रधान मंत्री थे. नेहरु इंदिरा विरासत को सम्हालते हुए , उन्होंने वही कमोड और वही सर्वेंट रूम जिमी कार्टर को दे दिया. २००० में बिल क्लिंटन आये. सांप्रदायिक वाजपेयी ने उनका बढ़िया स्वागत किया. डिसगस्टिंग वाजपयी. सेकुलरिज्म को इतनी तो जगह देते की हरे रंग के चिक लगा देते रूम में. २००६ और २०१० में जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा भारत आते. मनमोहन सिंह प्रधान मंत्री थे. हमने सांप्रदायिक सरकार के स्व...

कैसी आज़ादी !

बहुत अच्छे तुम चाहते थे अपनी आज़ादी अपने अधिकार किस कीमत पर दूसरों की आज़ादी छीन कर दूसरों के अधिकार छीन कर क्यों हैं तुम्हारी आज़ादी ही आज़ादी क्यों है तुम्हारे अधिकार ही अधिकार सोचोगे नहीं कभी सोचते, तो सोचते तुम्हे सड़क रोकने की आज़ादी है दूसरों का चलना फिरना रोकने का अधिकार है यह क्या है ? आज़ादी नहीं , अधिकार नहीं तो यह क्या है ? सोचो तुम , सोचोगे नहीं !