सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

गांधी …न राम

कल गांधी जयंती थी क्या देश स्वच्छ हुआ ! आज विजयादशमी है आज रावण जलेगा क्या देश राम-मय हो जायेगा ! नहीं, न देश स्वच्छ हुआ  न आज के बाद राम-मय होगा क्योंकि, हम गांधी नहीं तो हम में राम कैसे होगा . इसीलिए  देश को गन्दा होना चाहिए हम में रावण को ज़िंदा होना चाहिए .

लड़की डरती है

बोल्ड लड़की घर से निकलती है तन कर चलती बिना सर झुकाये फिर भी डरती है कनखियों से देखती है घूरती/ लेखा-जोखा रखती निगाहें जिनको शिकायत है उसके घर से निकलने तन कर चलने से वह जानती है उसकी मुसीबत में साथ नहीं देंगी यह निरीक्षण करती निगाहें क्योंकि, उन्हें अच्छा लगेगा लड़की का छेड़ा जाना क्योंकि, वह घर से निकलती है और तन कर चलती है लड़की डरती है।

रास्ते : अलग अलग

अलग अलग रास्ते भी एक हो जाते हैं जब अपने मुहाने पर बंद पाये जाते हैं. २- रास्तों को नहीं बाँट सकते चलने का तरीका गलत हो सकता है . ३- वह गिरे मैंने सम्हाला मैं लड़खड़ाया दोनों गिरे लोग हँसे कि दोनों अनाड़ी . ४- मंज़िल आसान लगती अगर रास्तों पर कांटे न होते . ५- जूता पहन कर कांटे नहीं चुभे पर जूतों ने पैर काट लिया.

सपने देखेगा

सबसे  ऊपर की मंज़िल पर कुछ कर रहा आदमी कभी रुकता इधर उधर नीचे देखता आसमान को घूरता कुछ खोजता सा वह आदमी अगर गिरेगा तो मुआवज़ा मिलेगा उसकी बीवी और बच्चों को फिर उसकी बीवी भी काम पर लग जाएगी उसकी तरह शायद ढोयेगी ईंट अगर वह, ठीक से नीचे उतर  आया तो मज़दूरी लेकर इमारत के एक कोने में अपनी पत्नी के साथ मिलकर खाना बनाएगा साथियों के साथ भोजपुरी फिल्म का अश्लील सा गीत गा कर अपनी थकान मिटाएगा फिर सो जायेगा सपने देखेगा सबसे ऊपर की मंज़िल पर अपने परिवार के साथ रहने के।

खबर औरत

खबर बन जाती है एक औरत जब आँख भर देखती है किसी को. २- खबर लिखने के लिए शब्द जानना नहीं आना चाहिए शब्द जड़ना . ३- टीवी पर सामान तब बिकता है जब औरत अर्धनग्न होती है अख़बार के लिए ज़रूरी है नंगा होना.

मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक एब्सॉल्यूट इंडिया में आज प्रकाशित मेरी कवितायेँ.

एब्सॉल्यूट इंडिया मुंबई १७ अगस्त २०१४

संपर्क - सेतु

नदी पर बना पुल दोनों ओर बसी आबादी को जोड़ता लोग पुल  पार कर रोज ही मिलते हाल चाल जानते गीले शिक़वे करते और सुनते फिर गले मिल कर वापस लौट जाते हर दिन जमता मेला कभी इस ओर कभी उस ओर  खूब खुशियां मनतीं एक दिन पुल को बहा ले गया सैलाब टूट गया संपर्क सूत्र बढ़ने लगी दूरियां बढ़ने लगे मतभेद जुटने लगी उग्र भीड़ उछलने लगे कठोर जुमले अब तो पहुंचती है एक दूसरे की बात नुकीले पत्थरों से संपर्क सेतु टूटेगा तो, और क्या होगा !!!