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तस्वीर

चित्रकार ने बनायी थी एक सुन्दर तस्वीर लम्बी उँगलियों से खींची थी रेखाएं भावनाओं, उमंगों और उम्मीदों के भरे थे रंग  बड़ी खिलखिलाती भविष्य में झांकती आँखों वाली तस्वीर कई आँखों ने देखा चित्रकार की कला को सराहा कुछ गंदी आँखों ने देखा भद्दी मुस्कराहट फेंकी कामुक हांथों से छुआ पहले धब्बे पड़े फिर दागदार हुई अंत में गंदी हो गयी गैलरी के कोने में खडी कर दी गयी सुन्दर तस्वीर।  

बारिश १, २,३, ४, ५

बरसात में हम तुम मिले क्या ही अच्छा हो रोटी मिले. २- गरीब को बारिश से डर नहीं लगता उसे डर लगता है टपके से . ३- बारिश में गरीब भीगता ज़रूर है पर भीगता नहीं क्योंकि, बरस जाती है झोपड़ी गीला हो जाता है आटा. ४- बाढ़ से डरा हुआ आदमी और सांप एक साथ सांप ने कहा- डरो नहीं काटूँगा नहीं इस मुसीबत में . आदमी ने मार दिया सांप को कम हो गयी एक मुसीबत . ५- बारिश में मुन्ना भीगता नहीं कहीं कोई नंगा भीगता है!

चीखें

अंधे अंधकार में डूबे घोर वीराने में चीख रही है एक लड़की जज़्ब हो रहे हैं उसके बचाओ बचाओ के शब्द खामोश सीनों में। कल सुबह तक खामोश हो जाएंगी उसकी चीखें तब ढूंढें जायेंगे सबूत कि उसके साथ यह हुआ था वह नहीं हुआ ऐसे में कौन चाहेगा लड़की हो।  

प्यार (कविता) नेशनल दुनिया ०१ जुलाई २०१४ अंक में प्रकाशित

दांत, बच्चे और कोख

मैं बबूल हूँ मेरे नज़दीक रहो कांटे चुभेंगे स्वाद में कड़वा हूँ फिर भी सलामत रहेंगे तुम्हारे दांत ! २- जीत रहा था मैं फिर भी हार गया  क्योंकि, उन्हें हारना पसंद नहीं बच्चे ऐसे ही होते हैं. ३-  कोख किराये की नहीं होती कोख माँ की होती है.

दर्द

उफ्फ! सांप काटता है तड़पता है कुछ तो बात है आदमी में. २- जो उतारता है ज़हर   कितना होगा उसमे ज़हर ! ३- नींद सपना और आँखें पहले कौन! ४- धूमकेतु राजनीति के हैं बहुतेरे  पूंछ हिलाते हुए . ५- माँ का दर्द महंगाई नहीं भ्रष्टाचार है जेब भर लाता है रोज बेटा .