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संदेश

रावण का पुतला

रावण ! तने क्यों खड़े हो घमंड भरी मुद्रा में जलने के लिए तैयार जल जाओगे क्या फायदा होगा धुंवा और कालिख बन कर घुल जाओगे हवा में मिल जाओगे धूल में इकठ्ठा लोग चले जायेंगे तुम्हारी राख रौंदते हुए क्या फायदा होगा ! आओ मुझ में समा जाओ मेरे ख़ून में घुल जाओ मैं पालूंगा तुम्हे अगले साल तक फिर से खड़ा कर दूंगा जलने के लिए पुतले के रूप में .

राजनीति

सत्ता शराब नहीं पीती घमंड नहीं करती क्योंकि, सत्ता खुद शराब है चढ़ कर बोलती है सर पर घमंड से . २- नेता बनाते हैं मोर्चा और देश को लगाते हैं मोरचा . ३- गांठों के समूह के मिलने को कहते हैं गठबंधन. ४- कई पतियों से तलाक ले चुकी वामा यानि वाम पंथी . ५. सेक्युलर बिना पैजामे का नाड़ा .

मेला- पांच भाव

मेले में भगदड़ मची मरने लगे लोग अधिकारी गिनने लगे मरे हुए लोग और लगाने लगे हिसाब मुआवज़े के लिए बनने वाली और फिर  मिलने वाली रकम का. २- मेले में माँ के हाथ से बेटे का हाथ छूट गया दोनों ढूढ़ रहे थे एक दूसरे को माँ सोच रही थी बेटा बिछड़ गया बेटा रो रहा था मैं खो गया . ३- मेले में आदमी अकेला उसे वापस जाना है अकेला ही. ४- जब जुट जाते हैं बहुत से अकेले तो बन जाता है मेला. ५- अपनों के परायों के मिलने और फिर बिछुड़ जाने को कहते हैं मेला . 

समुद्र- पांच क्षण

छलक आईं मेरी ऑंखें समुद्र के किनारे पास चला आया समुद्र मुझे समझाने . २- याद आ गया गुज़रा ज़माना आ गया समुद्र में ज्वार. ३- नीला समुद्र भूरा आसमान मेरे पास और आसमान पर चाँद ज्वार आ गया. ४- रूठी चली गयी रेत की तरह फिसल गयी ५- मैं बैठा रहा समुद्र के किनारे तुमने डुबकी लगाई तुम मोती ढूंढ लाये मैं खारा हो चला .

निरंकुश कलम

कुछ  लोग कुछ भी लिख डालते है बिन सोचे विचारे क्योंकी, उनके हाथ  में  कलम है वह  इसका  जैसा भी चाहे इस्तेमाल कर सकते है नही  सोचते कि, निरंकुश कलम तलवार को मौका देती है काट ने  का गरदनो के साथ निरंकुश हाथ भी.

समंदर

बहुत थोड़ा जीवन है, आशाओं का समंदर छोटी सी नौका है, तूफान का है मंजर । छोड़ के चल देते हैं, सवार इतने सारे पार वही लगता है इंसान जो सिकंदर। राजेंद्र कांडपाल 03 अक्टूबर 2013  Bahut Thoda Jeewan hai, aashaaon ka samandar, chhoti sii nauka hai, toofan ka hai manjar. chhod ke chal dete hain, sawaar itane saare, paar wahii lagata hai insaan jo sikandar. Rajendra Kandpal 03 October 2013

नेता जी

नेता जी, कल जब आप जेल में होंगे फटे मैले कंबल के बिस्तर पर लेटे होंगे। आम हिन्दुस्तानी की तरह तालियाँ बजाते हुए मच्छर मारते आपकी रात गुजरेगी खटमलों के आक्रमणों से आपकी कोमल त्वचा आपको घायल लगेगी । पतली दाल, घास फूस से बनी सब्जी और रोटी दलिया और चाय का नाश्ता आपको देगा जनता का वास्ता जिन्होने कभी आप के लिए ऐसे ही तालियाँ मारी थीं और बदले में आपने ! छीना था उनका नाश्ता मच्छरों और खटमलों की तरह चूसा था उनका खून आज शायद आप इसे समझ पाये हों कि आपके भ्रष्टाचार ने देश को बना दिया है आपको मिली जेल से ज़्यादा गंदी, भ्रष्ट और नारकीय जेल  इसलिए हे नेताजी आप इसी जेल में रहना बाहर न आना देश को अब और नरक नहीं बनाना  !