बुधवार, 2 अक्टूबर 2013

नेता जी

नेता जी,
कल जब आप
जेल में होंगे
फटे मैले कंबल के बिस्तर पर
लेटे होंगे।
आम हिन्दुस्तानी की तरह
तालियाँ बजाते हुए
मच्छर मारते
आपकी रात गुजरेगी
खटमलों के आक्रमणों से
आपकी कोमल त्वचा
आपको घायल लगेगी ।
पतली दाल,
घास फूस से बनी सब्जी
और रोटी
दलिया और चाय का नाश्ता
आपको देगा
जनता का वास्ता
जिन्होने कभी आप के लिए
ऐसे ही तालियाँ मारी थीं
और बदले में आपने !
छीना था उनका नाश्ता
मच्छरों और खटमलों की तरह
चूसा था उनका खून
आज शायद आप
इसे समझ पाये हों कि
आपके भ्रष्टाचार ने
देश को बना दिया है
आपको मिली
जेल से ज़्यादा
गंदी, भ्रष्ट और नारकीय जेल 
इसलिए
हे नेताजी
आप इसी जेल में रहना
बाहर न आना
देश को अब और
नरक नहीं बनाना  !

http://mail-attachment.googleusercontent.com/attachment/?ui=2&ik=136e54ebdd&view=att&th=141a774765465de5&attid=0.1&disp=inline&realattid=f_hmndr7lj0&safe=1&zw&saduie=AG9B_P83I_uKDyjMONkv8T_YiKvK&sadet=1381498447909&sads=_fk0oBxhGtjWSy-MeVb8Kj0gh_Q

बुधवार, 25 सितंबर 2013

अनुभूति २० मई २०१३


मैने नीम से पूछा
 

 
मैंने नीम से पूछा-
तू इतनी कड़वी क्यों है?
जबकि, तू
सेहत के लिए फायदेमंद है।
नीम झूमते हुए बोली-
अगर मैं कड़वी न होती
तो, तुझे
कैसे मालूम पड़ता
कि कड़वेपन के कारण
सेहतमंद नीम की भी
कैसे थू थू होती है.

-राजेन्द्र कांडपाल
२० मई २०
१३

अनुभूति 17 june 2013

गंगा- कुछ क्षणिकाएँ
 




गंग जमुन की बहती धार
प्यास बुझाए
खेत हजार
अन्न लहलहाए
सींचे धरती बारम्बार

-मंजुल भटनागर



खिल खिल करती
मचलती, खेलती
आह्लादित उर्मियों को
अपने सीने पर
बच्ची सी चढ़ाये, चिपकाए
मस्ती में झूमती, इठलाती
बहने वाली गंगा
खो गयी है
जाने कहाँ ?

-अनिल कुमार मिश्र



गंगा है
माँ की माँ
तभी तो
समा जाती है
गंगा की गोद में
एक दिन माँ भी।

-राजेंद्र कांडपाल



इस देश की बुद्धिमत्ता
कुम्भकर्ण की नीद सो रही है
उसे पता ही नहीं
कि गंगा बीमार हो रही है

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१७ जून २०१३

शनिवार, 7 सितंबर 2013

खामोशी

 जहां लोग
आपस में नहीं बोलते
वहाँ,
खामोशी बोलती है
चीखती हुई
इतनी, कि
कान बहरे हो जाते हैं
कुछ सुनाई नहीं पड़ता।

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

जन्म लो कृष्ण !!!

हे कृष्ण !
जब तुम जन्म लेना
तब
मथुरा वृन्दावन तक न रहना
बाल रूप में
गरीबों की झोपड़ी में जाना
गंदी बस्ती में रहना और खाना
जहाँ
बच्चे माखन खाना तो दूर
उसका नाम तक नहीं जानते
रंग कैसा होता होगा
नहीं पहचानते
बड़े होकर
कंस का वध करने
केवल मथुरा न जाना
महंगाई, भ्रष्टाचार
अन्याय और अनाचार के कंस
सड़क से संसद तक हैं
नाश करने के लिए उनका
धर्म की हानि की
प्रतीक्षा मत करना
धर्म शेष ही कहाँ है !
तुमने
शिक्षा देने के लिए
नग्न नहाती गोपिकाओं के वस्त्र हरे थे
पर द्रौपदी की लाज भी बचाई थी
आज नकली कृष्ण बने लोग
वस्त्र हरण कर रहे हैं
और शकुनि बने द्रौपदी का
चीर हरण कर रहे हैं
तुमने बजाई होगी
सुख और शांति के लिए बांसुरी
 मगर आज
जनता परेशां, बदहाल और भूखी है
राजा बजा रहे हैं
चैन की बांसुरी
क्या  इस बार तुम आओगे
इस भारत को
कुरुक्षेत्र बनाओगे !
आ जाओ कृष्ण
जन्म लो कृष्ण
जन्म लो गीता के कृष्ण !!!!
रच दो एक और महाभारत
बना दो देश को
मेरा भारत महान !




 

रविवार, 18 अगस्त 2013

हाथ - पांच क्षण

किसी के मरने पर लोग 
चाकू को दोष  देते हैं
उसकी धार कुंद कर देते हैं
लेकिन, हाथ !
वह सदा हमारे साथ.   

२ )
बनाने के लिए
घरौंदा
जुटते हैं दोनों हाथ
गिराने के लिए
घरौंदा
काफी है एक ही हाथ  .

३)
चढते सूरज को
जोड़ते हैं दोनों हाथ
जलने से
कौन नहीं डरता

४)
माता पिता
दामाद को
थमा देते हैं
बेटी का हाथ
फिर नहीं देते
बेटी का साथ। 

५)
पौंधा रोपने के लिए
हाथ सहेजते हैं
पौंधे को
पेड़ काटने के लिए
हाथ पकड़ते हैं
कुल्हाड़ी को !

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

सान

कातिलों के बाजुओं की फिक्र नहीं मुझे,
हथियारों में उनके इतनी सान नहीं होती है।
डर लगता है उन बददुआओं के नश्तरों से मुझे
जिन बेबसों की कोई जुबान नहीं होती है।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...