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मूंछ नहीं पूंछ

अफसोस ! मेरे एक पूंछ नहीं मूंछ है पूंछ होती तो हिला लेता भ्रष्टाचार के महाकुंभ में कुछ कमा लेता मूंछ मूंछ होती है आज के जमाने में पूछ नहीं होती है तभी तो तमाम मूंछ वाले मूंछे कटा कर दुम बना कर सत्ता के आगे पीछे हिला रहे हैं भ्रष्टाचार के कुम्भ में जा कर पाप नाशनी गंगा में नहा कर हर हर चिल्ला रहे हैं जनता की कमाई हर कर  खूब कमा रहे हैं।   

कुत्ते की मौत पर

मेरी गाड़ी से कुचल कर एक कुत्ता मर गया मैं दुखी था कुत्ते की मौत पर मगर  दुखी नहीं हो सकता था क्योंकि, मेरे मोहल्ले में सभी धर्मों और उनके अंदर जातियों के लोग रहते हैं और सेकुलर भी।

माँ का चैन

बच्चों के स्कूल खुल गए हैं, माँ सुबह उठ कर जल्दी कुल्ला मंजन कर चौके में घुस गयी है वह नाश्ता बनाती, टिफ़िन पैक करती है फिर बच्चों को ड्रेस पहना कर टिफिन बस्ते में ठूंस देती है बच्चे माँ के गालों को चूम कर चिल्लाते हुए टाटा टाटा कह कर चले जाते हैं माँ पसीना पोंछती हुई सोफ़े पर बैठती है और ज़ोर से चैन की सांस लेती है । बच्चों के जाने के बाद माँ क्यों लेती है चैन की सांस !     

माँ का व्रत

माँ हमेशा व्रत रखतीं कभी पति के लिए कभी लड़का पैदा होने के लिए कभी संतान की मंगलकामना के लिए तो कभी घर की खुशहाली के लिए मैं सोचता- माँ अपने लिए व्रत क्यों नहीं रखती हम लोगों के लिए व्रत रखने वाली हमे भरपेट खिला कर आधा अधूरा खा कर रह जाने वाली माँ व्रत ही तो रखती थी!

नियंत्रण

सुबह सुबह घड़ी ने चीखते हुए कहा- उठो उठो, शायद तुम्हें कहीं जाना है। आज उसकी चीख से झल्लाया हुआ मैं बोला- ऐ घड़ी, तू मशीन होकर मुझे निर्देश देगी! घड़ी बोली- तुमने खुद ही तो सौंपा है अपना नियंत्रण मुझे।

भूकंप

इस शहर में जब आता है भूकंप निकल आते हैं लोग अपने अपने घरों से कुछ लोग इधर तो काफी लोग उधर भाग रहे होते हैं मगर भगदड़ नहीं होती यह क्योंकि लोग लूटने जा रहे होते हैं एक टूटी दुकान का सामान और ले जा रहे होते हैं सुरक्षित अपने ठिकाने में। तब कुछ ज़्यादा काँप रही होती है धरती भूकंप के बाद।

रोक न सकूँगा

प्रियतमा! उदास मत हो मेघ कुछ ज़्यादा घुमड़ आते हैं। बहाने लगते हैं भावनाओं के सैलाब नियंत्रण का बांध तोड़ जाते हैं। नहीं रोक सकूँगा तुम्हें बाहों में बह जाऊंगा तुम्हारे साथ गहराई तक तुम्हारी रिमझिम आँखों में। फिर जाऊंगा कैसे तुम्हारे अंतस में तुम्हें यूं उदास छोड़ कर रोक न सकूँगा खुद को तुम्हारे साथ रोने से इस बारिश की तरह।