शनिवार, 8 सितंबर 2012

दीवानगी

जहां लोग
माथा टेकते हैं,
वह मंदिर है।
जहां लोग
माथा रगड़ते हैं,
वह मस्जिद है।
जहां लोग
घुटने टेक कर
अपराधों की क्षमा मांगते हैं,
वह चर्च है।
लेकिन,
समझ नहीं सका मैं,
जहां लोग पी कर लोटते हैं
उस मयखाने से
कोई नफरत क्यों करता है?
दोनों ही दीवाने हैं
एक ईश्वर, अल्लाह और खुदा का
दूसरा
उस ईश्वर, अल्लाह और खुदा की बनाई
अंगूर की बेटी का।
दीवानगी और दीवानगी में यह फर्क
दीवानापन नहीं तो और क्या है
कि हमे
मयखाने के दीवानों की दीवानगी की
इंतेहा से नफरत है।

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

मातृ भाषा हिन्दी

सूती धोती ब्लाउज़ में
अपनों की देखभाल करती
बहलाती, पुचकारती और समझाती
हिन्दी से
पाश्चात्य पोशाक में लक़दक़
गिटपिट करती
अंग्रेज़ी ने कहा-
इक्कीसवीं शताब्दी के
आधुनिक भारत की भाषा
तुझे क्यों कोई साथ नहीं रखता
तू उपेक्षित
अपनों से सहमी हुई रहती है
कभी तूने सोच की क्यों ?
क्यों लोग मुझे अपनाते हैं
मेरा साथ पाकर धन्य हो जाते हैं
तुझे साथ लेने में शर्माते हैं।
अंग्रेज़ी के ऐश्वर्य से
अविचलित
हिन्दी से अंग्रेज़ी ने आगे कहा-
क्योंकि,
मैं उन्हे गौरव का अनुभव देती हूँ
दूसरों से संपर्क के शब्द देती हूँ
इस मायने में तू मूक है
इसलिए इतनी उपेक्षित है।
हिन्दी ने अंग्रेज़ी को देखा
चेहरे पर आत्मविश्वास लिए कहा-
मैं 'म' हूँ
बच्चे का पहला उच्चारण
तुम्हारे देश का बेबी भी
पहले 'म' 'म' ही करता है
मदर नहीं बोलता ।
मैं बोलने की शुरुआत हूँ
बच्चे के शब्द मैं ही गढ़ती हूँ
तू उसके बोलने और सीधे खड़े होने के बाद
उसके सर चढ़ जाती है
बेशक
तू मेम हो सकती है
मगर माँ नहीं बन सकती
क्योंकि मैं बच्चे की जुबान पर उतरी
मातृ भाषा हूँ।


 

बुधवार, 5 सितंबर 2012

गुरु


मैं मिट्टी था
गुरु ने मुझे
मूरत बनाया
ज्ञान दिया गुर सिखाया
मुझे शिक्षित कर
गुरु यानि भारी बना दिया
और मैं
गुरु बनते ही
गुरूर से भर गया
और फिर से
मिट्टी हो गया।

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

हिन्दी

अपने देश में
पिता के घर
भ्रूण हत्या से बच गयी
बेटी जैसी
उपेक्षित,
ससुराल में
कम दहेज लाने वाली
बहू जैसी
परित्यक्त   
क्यों है
विधवा की बिंदी जैसी
राष्ट्रभाषा
हिन्दी ।

(2)
कमीना सुन कर
नाराज़ हो जाने वाले लोग
अब
बास्टर्ड सुन कर
हँसते हैं।
 

रविवार, 2 सितंबर 2012

नाक

कोई
क्यों नहीं समझ पाता
अपने सबसे नजदीक को ?
क्या हम
आँख से सबसे निकट नाक
कभी ठीक से देख पाते हैं?
जब तक कोई
आईना पास न हो।
 

गिरगिट

जिन लोगों के पास
होती है
लंबी जीभ
उनके पास
आँखें नहीं होती
कान नहीं होते
यहाँ तक कि
नाक भी नहीं होती।
ऐसे लोग
कुछ सोचना समझना नहीं चाहते
वह सोचते हैं
कि उनकी लंबी जीभ
पर्याप्त है
पेट भरने के लिए।
ऐसे लोग
गिरगिट की तरह होते है
मौका परस्त
और रंग बदलने वाले
लेकिन
ऐसे लोग नहीं जानते
कि
गिरगिट पर
कोई विश्वास नहीं करता
उसे निकृष्ट दृष्टि से देखा जाता है।
भई,
गिरगिट
धोखेबाज, भयभीत
सीधी खड़ी नहीं हो सकती
रेंगती रहती है
आजीवन।

बुधवार, 29 अगस्त 2012

दर्द का रिश्ता

दो सखियों या बहनों
या फिर माँ बेटी जैसा
आँखों का
आंसुओं से रिश्ता
एक महसूस करती
दूसरी छलक पड़ती
एक रोती
दूसरी बह निकलती
क्योंकि
बहनों-सखियों जैसा
माँ बेटी का यह रिश्ता है
दर्द का
जब  बढ़ जाता है
दर्द
हद से ज़्यादा
तब
बिलखने लगती हैं आंखे
निकलने लगते हैं आँसू


 

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...