शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

सिंहासन

देखो दोस्त,
जनपथ पर राजा बैठा है,
उसका एक गद्दियों वाला बड़ा सिंहासन है
जो बहुत मज़बूत है
राजा बहुत ताक़तवर है
उसके पास दंड और क्षमा का
राजदंड होता हैं
उसके दोनों और विद्या और बुद्धी का प्रकाश
उसे निर्णय लेने की राह दिखाता रहता है
लेकिन वह
इन शक्तियों का
उचित प्रयोग नहीं करता
वह इन शक्तियों को वैयक्तिक मानता है,
इनका दुरूपयोग करता है
वह प्रजा को, नियम और कानूनों को
अपनी पायदान बना लेता है.
उसे घमंड है
अपने बड़े से मज़बूत सिंहासन पर
इसलिए वह
प्रजा हित के बजाय
अपने और अपने ईष्ट मित्रों पर ज्यादा ध्यान देता है
लेकिन वह नहीं जानता कि
सिंहासन कितना भी मज़बूत क्यूँ न हो
गद्दी मज़बूत नहीं होती
वह टिकी होती है चार पायों पर
इसलिए
महत्वपूर्ण उसके पाये होते है
यह पाये संवेदनशील होते है
भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद उन्हें विचलित कर देता है
तुम इन्हें
राजा की गद्दी के नीचे से सरका सकते हो
पर ध्यान रहे
इन पायों को
हिंसक हो कर मत तोड़ना
क्यूंकि,
इन्हें ही फिर सहारा देना है
जनपथ के राजा को.

सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

आशीर्वाद

मुनिया की शादी हो गयी
विदाई के समय उसने
जितने बुजुर्गों के पैर छुए
सबने आशीवार्द दिया-
सदा सुहागन रहो.
ससुराल आयी, स्वागत हुआ
मुह दिखाई हुई
उसने जितने  बड़ों के पैर छुए
सबने आशीर्वाद दिया-
सदा सुहागन रहो.
एक दिन मुनिया सोच रही थी
बचपन में मैंने माँ का दूध
अधिक उम्र तक पिया था
माँ कुढ़ कर कोसती थीं
इतनी बड़ी हो गयी
अभी तक दूध पीती है
तू मर क्यूँ नहीं जाती.
पढ़ने जाने लगी
कक्षा में फेल हो गई
अध्यापिका ने कहा-
तुम इतने ख़राब नंबर लाई हो
तुम्हे डूब मरना चाहिए.
बाली उम्र थी
एक सजीले लडके से प्रेम करने लगी
पिता भाई को मालूम हुआ
बहुत पिटाई हुई
सभी कोसने लगे-
यह दिन दिखाने से पहले
तू मर क्यूँ नहीं गयी.
मुनिया की आँखों में आंसू आ गए
मुझे किसी ने कभी
लम्बी उम्र का
आशीर्वाद क्यूँ नहीं दिया?
एक दिन मुनिया सचमुच मर गई
श्मशान घाट ले जाने के लिए
उसका शव सजाया जाने लगा.
सहसा मुनिया की आत्मा वापस आयी
उसने देखा
उसके सास ससुर क्या उसके माता पिता भी
उसके पति को कोस नहीं रहे थे.
क्यूंकि उनका आशीर्वाद जो फल गया था.

आपस की बात

बाप का सीना
गर्व से फूलता नहीं कि
उसका बेटा अब जवान हो गया है.
क्यूंकि अब
जवान होते ही बेटा
घर छोड़ कर चला जाता है.
२-
बहु द्वारा
बेटे को कब्जियाने के बावजूद
सासें अभागी है कि
वह अपनी बहुओं को कोस नहीं सकती कि
बहू ने उनके बेटों को पल्लू में बाँध लिया है
क्यूंकि अब लड़कियाँ
साड़ी नहीं पहनती.
३-
लम्बे बेटे का बाप
कभी बेटे को
बराबरी का नहीं देख पाता.
क्यूंकि,
बेटा उसे हमेशा
नीची नज़रों से देखता है.
४-
पहले सासें बहु को
भंडारे की चाभियाँ
और रसोईं का भार सौंपती थीं.
अब ऐसा नहीं होता
क्यूंकि बहु
क्रेडिट कार्ड पसंद करती है
और सास के पास भी
क्रेडिट कार्ड ही होता है.
५-
दादा को रोते देख कर
पोते ने कहा-
दादू,
तुम रोते क्यूँ हो
तुमने ही तो हमेशा
पिताजी को कंधे पर लेकर सर चढ़ाया
और गर्दन झुका ली.
६-
वह आजीवन
कर्ज़दार रहे
और कर्ज़दार मरे भी.
क्यूंकि उनके पास
आजीवन
ढेरों क्रेडिट कार्ड रहे.


गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

असुरक्षित

जो लोग
ऊंचाई पर होते हैं
वह सर्वथा असुरक्षित और अज्ञानी होते हैं.
वह जब नीचे देखते हैं तो
उन्हें देत्याकर भी बौने नजर आते हैं
वह हाथी को चींटी समझते हैं
उन्हें नीचे उठ रहा तूफ़ान
चाय की प्याली का उफान लगता है
वह वास्तविकता से दूर
कल्पना के आकाश में विचरण करते हैं
ऐसे लोगों से ज्यादा लोग
घृणा करते हैं
तुम इनसे डरो नहीं
अपने शत्रु की शक्ति से अनभिज्ञ यह
नीचे उतरते ही
मार दिए जायेंगे.
या यह जब लुढ़केंगे
तब धरा पर
मृत देह सा नज़र आयेंगे.

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

सहारा

अंधे की किस्मत !
उसकी एक आँखोवाली लड़की से शादी हुई
जिसने देखा सराहा -
चाँद सी बहू मिली है तुझे ।
वह इसे कैसे समझता
उसने चाँद देखा ही कब था ।
फिर बच्चे का जन्म हुआ
लोगो ने कहा-
बिलकुल माँ पर गया है.
वह इसे भी समझता कैसे!
उसने तो माँ को तक नहीं देखा था.
बच्चा बड़ा हुआ
आँख वाला था
इसलिए अच्छा पढ़ लिख गया ।
एक दिन न जाने क्या हुआ
घर छोड़ कर भाग गया
अंधे ने इसे अपनी किस्मत मान लिया
फिर एक दिन खबर आई
परदेश में एक दुर्घटना में
बेटा मारा गया था.
उसने अपनी अंधी आँखों से दो बूँद आंसू गिरा दिए
पर वह कानों से सुन सकता था
बच्चे के लिए बिलखती पत्नी की सिसकियों को ।
पत्नी बच्चे का गम सह न सकी
दो दिन बाद वह भी मर गयी
बेटे की याद में दो आंसू बहाने वाला अँधा
दहाड़े मार कर रोने लगा
क्यूंकि
बेटा तो चाँद सा था
लेकिन पत्नी तो सहारा भी थी.  

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

कातरता

मैं देख रहा था
पिता की आँखों की कातरता
वह कह रहे थे-
बेटा, मकान टूट रहा है,
बारिश में छत चूती है
सारी सारी रात नींद नहीं आती
दस हजार रुपये दे दो
मरम्मत करा लूँगा ।
मुझे याद आया
बचपन में जब बारिश होती
मैं पूरे दिन धमाचौकड़ी मचाता
पिता चिंता में डूबे रहते
कि रात में छत चुएगी
उस समय घर थोडा ही पुराना था
कहीं कहीं से ही टपका आता,
जो रात में
जब बिस्तर पर मेरे ऊपर गिरता
पिता बेचैन हो जाते
अपनी हथेलियों की छाया कर मुझे बचाते
सुरक्षित जगह पर मेरा बिस्तर लगा देते
मुझे चैन की नींद देकर
खुद पूरी रात टपके के साथ जागते गुज़ारते .
एक दिन पिताजी
तीन हज़ार का इंतज़ाम कर लाये थे
छत की मरम्मत के लिए
कि मेरा एक्सिडेंट हो गया
सारे पैसे मेरे ईलाज में खर्च हो गए
मैं ठीक हो गया
छत बदस्तूर टपकती रही.
मैं टूटी छत और पिता के चूते अरमानों के साथ
बड़ा हो गया, पढ़ लिख गया
और नौकरी भी करने लगा
शादी करके बड़े शहर में रहने आ गया.
उम्रदराज पिता के उम्रदराज मकान को
अब मरम्मत की ज्यादा जरूरत थी.
मुझे याद आया
घर में पन्द्रह हज़ार रुपये पड़े हैं.
मैं कहना चाहता था
हाँ पिताजी, ले जाइये पैसे,
करा लीजिये छत की मरम्मत
कि, तभी निगाहें पत्नी की और गयीं
उसकी आँखों की कठोरता से भयभीत मैं
पिता से दीन आवाज़ में इतना ही कह सका-
अभी इतने पैसे कहाँ
इस महंगे शहर में घर चलाना ही कठिन है
पुराने घर के लिए पैसा कैसे बचेगा
पिता के चेहरे पर मुझे
टपके से बचाने वाले भाव थे
वह इतना कह कर चले गए-
बेटा, जल्द ही कोई इंतजाम कर देना
रात में सोना मुश्किल हो जाता है.
बाहर तेज़ बारिश हो रही है
मेरे घर की छत टपक नहीं रही ।
लेकिन मुझे,
टपके से ज्यादा तड़पा रही है
टपकती छत के नीचे
मुझे सुला कर खुद जागते
मुझसे पैसा माँगते बेबस पिता की
कातर आँखें.

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

तस्वीर की मुस्कुराहट

ऐ तस्वीर
वक़्त की मार सह कर
धूल के प्रहार झेल कर
थोड़ी धुंधली पड़ जाने के बावजूद
तुम मुस्करा रही हो.  
तुम्हे कई हाथों के स्पर्श ने
थोडा खुरदुरा कर दिया है,
इसके बावजूद
तुम मुस्करा रही हो
तुम्हारी ही तरह
मेरी भी आँखों के आगे
थोड़ा धुंधलापन छा गया है.
इसके बावजूद
मैं देख सकता हूँ
तुम्हारे चेहरे पर चिर परिचित मुस्कराहट
आज भी तुम वैसे ही मुस्करा रही हो
जैसे सालों पहले
दीवाल पर टाँके जाने के वक़्त
मुस्करा रही थीं.
तुम्हे मुस्कराती  देख कर ही
मैं कह सकता हूँ कि
मैं भी कभी मुस्कराता था.

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...