सोमवार, 18 जुलाई 2022

मन तोता


मन तोता होता है

हरी मिर्ची सा

लोहे के पिंजरे में

'मिट्ठू बेटा

राम राम बोलो' कहता

पिंजरा खोल दो

तो क्या

कहाँ जाएगा !

लौट कर फिर वापस आएगा

पंख है

पर शक्ति कहाँ

फड़फड़ाता सिर्फ

मन  तोते सा।

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

दर्पण-पुरूष

 क्या 

मनुष्य दो प्रकार के होते हैं? 

सज्जन और दुर्जन पुरुष 

पर तीसरा भी होता है पुरुष

दर्पण में 

जिसे हम देखते हैं

दर्पण- पुरुष. 

काल- चित्र

काल  एक चित्र बनाता है 
लकीरों  से भरा 
श्वेत श्याम रंगों का मिश्रण
कभी धुंधला सा भी 
अतीत में खोजता- विचरता 
काल चक्र से जूझता
 काल-चित्र .


बुधवार, 13 अप्रैल 2022

समझ, समझ का फ़ेर!

 मैं लिखता हूँ

तुम पढ़ते नहीं

मैं पढ़ता हूँ

पर समझता नहीं

यह सब क्या है? 

समझ का फ़ेर 

या न समझने की चेष्टा! 

चाहे जो समझो 

समझ, समझ का फ़ेर 


जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड बनाम राम नवमी जलूस पर पत्थरबाजी

आज जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड को 103 साल हो गये.  इस हत्याकाण्ड को याद रखने की जरूरत केवल इसलिए नहीं कि इसमें 1500 से ज्यादा निर्दोष लोग मारे गए थे,बल्कि इसलिए भी याद करने की जरूरत है कि इन लोगों पर गोली चलाने के आदेश एक अंग्रेज अधिकारी ने दिए थे,  पर गोली चलाने वाले हाथ भारतीय थे. जनरल डायर ने सिख रेजिमेंट और गोरखा रेजिमेंट के लोहे से भारतीयों का लोहा काटा था. यह बंदूकें डायर की तरफ घूम जाती तो भारत का स्वतंत्रता का इतिहास कुछ अलग होता.  पर पूरी दुनिया मे ब्रिटिश साम्राज्य को बदनामी दिलाने वाले इस हत्याकांड के बाद पंजाब में विद्रोह नहीं हुआ था.



हालात आज भी वही हैं. हिन्दुओं के आराध्य राम अवतार दिवस पर निकाले जा रहे रामनवमी के जुलूस पर शहर शहर पत्थर बरसाने वाले मुसलमानों की एक मस्जिद पर कुछ अराजक चढ़ क्या गए नपुंसक हिन्दुओ की कथित सहिष्णुता जार जार आँसू बहाने लगी. जबकि पत्थरबाजों की कौम के किसी सेकुलर ने साँस तक नहीं ली थी.



हो सकता है कि उस समय अगर आज के यह हिन्दू अंग्रेजो ने वजीफे पर रखे होते तो यह कहते कि हम आज्ञाकारी है.  साहब बहादुर ने मना किया था तो इस भीड़ को जुटना नही चाहिए था. 

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

सोशल मीडिया के विदेश मंत्रियों की बजबजाती गली

सोशल मीडिया के विदेश मंत्रियों की दशा देखनी हो उनकी गली चले जाइए. गली की नाली बज- बजा रही है.  गंदा पानी भरा हुआ है. यह विदेश मंत्री घर का दरवाजा खोलते हैं. पानी भरा देख कर दो काम कर सकते है यहलोग.  या तो सफाई कर्मचारी को बुदबुदाहट में (ध्यान रखियेगा कि यह समस्या इनके सोशल मीडिया पेज पर नहीं आयेगी. सफ़ाई कर्मचारी पर चिल्लाने की औकात नहीं. पैंट की सीयन जो उधडी हुई है) कोसते हुए घर मे दुबक जाएंगे या फिर दूसरों द्वारा लगाई गई ईंटों पर डिस्को करते हुए गुजर जाएंगे. भारत सरकार को विदेश नीति समझाने वाले नाली मे फंसी ईंट या कचरा को डंडे से धकेल कर बाहर नहीं कर सकते ताकि नाली खुल जाये और गली में भरा पानी निकल जाये. इनके कलेजे मे इतनी जान ही नहीं कि बीवी या मोहल्ले वालों या गली के शरारती बच्चों से कह सकें कि कूड़ा नाली मे मत फेंका करो, बच्चों से कह सके कि खेलते हुए ईंट नाली मे मत डालो. हिम्मत ही नहीं है इन सोशल मीडिया वाले विदेश मंत्रियों की.

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

दर्द

जब घुटनों में दर्द होता है 

मैं बाम नहीं लगाता
न लगाने देता हूं किसी को 
तब याद आती है माँ 
उसके घुटने भी दर्द करते थे 
किसी से मलवाती नहीं थी
अपने कमजोर हाथों से घुटने सहलाती 
बाम लगा लेती
इसीलिए बाम नहीं लगाता 
मैं महसूस करना चाहता हूं 
माँ का दर्द.

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...