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सोशल मीडिया के विदेश मंत्रियों की बजबजाती गली

सोशल मीडिया के विदेश मंत्रियों की दशा देखनी हो उनकी गली चले जाइए. गली की नाली बज- बजा रही है.  गंदा पानी भरा हुआ है. यह विदेश मंत्री घर का दरवाजा खोलते हैं. पानी भरा देख कर दो काम कर सकते है यहलोग.  या तो सफाई कर्मचारी को बुदबुदाहट में (ध्यान रखियेगा कि यह समस्या इनके सोशल मीडिया पेज पर नहीं आयेगी. सफ़ाई कर्मचारी पर चिल्लाने की औकात नहीं. पैंट की सीयन जो उधडी हुई है) कोसते हुए घर मे दुबक जाएंगे या फिर दूसरों द्वारा लगाई गई ईंटों पर डिस्को करते हुए गुजर जाएंगे. भारत सरकार को विदेश नीति समझाने वाले नाली मे फंसी ईंट या कचरा को डंडे से धकेल कर बाहर नहीं कर सकते ताकि नाली खुल जाये और गली में भरा पानी निकल जाये. इनके कलेजे मे इतनी जान ही नहीं कि बीवी या मोहल्ले वालों या गली के शरारती बच्चों से कह सकें कि कूड़ा नाली मे मत फेंका करो, बच्चों से कह सके कि खेलते हुए ईंट नाली मे मत डालो. हिम्मत ही नहीं है इन सोशल मीडिया वाले विदेश मंत्रियों की.

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तनाव

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कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...