रविवार, 1 मार्च 2020

अंडर ट्रान्सफर जस्टिस मुरलीधरन का अंडर ट्रायल जस्टिस



जस्टिस मुरलीधरन अंडर ट्रांसफ़र थे। उन्होंने क्यों इतने महत्वपूर्ण मामले को सुना। उन्होंने इतना ही नहीं किया, पुलिस व्यवस्था को हतोत्साहित करने की कोशिश भी की । आप कैसे अदालत मे वीडियो चला कर आरोप लगा सकते हो और फैसला सुना सकते हैं? आरोप लगाना जजों का काम नही है। अच्छा होता कि आप अदालत में सिनेमाघर लगाने के बजाय पुलिस कमिश्नर से कहते कि निष्पक्ष जॉंच की जाये। मान लेते हैं कि आप दिल्ली की हिंसा से बहुत आहत थे तो आपने यह क्यों नही कहा कि सुको को दो महीना पहले शाहीनबाग पर निर्णय सुना देना चाहिये था? क्यों नही कहा कि सुप्रीम कोर्ट सीएए की वैधानिकता पर तुरंत निर्णय लेने में असफल रहा? क्यों नही कहा कि कॉंग्रेस की नेता सोनिया गॉंधी ने मुसलमानों को सड़क पर उतर कर हिंसा करने के लिये उकसाया? क्यों नही कहा कि राहुल गॉंधी और प्रियंकावाड्रा भी समान रूप से दोषी है? क्यों नही इनकी स्पीच के वीडियो चलवाये? क्यों नहीं कहा कि सलमान ख़ुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के जामिया और शाहीनबाग के भाषण मुसलमानों को उकसाने के लिये थे, जिनमें प्रधान मंत्री को गालियाँ दी गयी? क्यों नही कहा कि अकबरुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान के भाषण मुसलमानों को दंगा करने के लिये उकसाने के लिये काफी थे? क्यों नहीं कह कि आम आदमी पार्टी के विधायक और पार्षद दंगा कराने के लिये एसिड की बोतलें और बम-पत्थर इकट्ठा कर रहे थे? क्यों नही कहा कि जाफराबाद में मुस्लिम औरतों के सड़क बन्द कर देने के कारण दिल्ली की जनता के सब्र का बाँध टूट गया? सवाल बहुत ले हैं मी लार्ड! अदालत में बैठ कर प्रवचन देने से बाज़ आईये। आप क्यों कार में बैठे होने के बावजूद, बिना गनर के उतरते तक नहीं?

पश्चिम बंगाल में ममतादी का सॉफ्ट हिंदुत्व वाया फरहद हाकिम



पश्चिम बंगाल में एक फरहाद हाकिम नाम का एक शख्स है. वह तृणमूल कांग्रेस का सब कुछ है. वह वर्तमान में कलकत्ता का मेयर है. इस पार्टी में उसकी स्थिति ममता बनर्जी और उनके भतीजे के बाद तीसरे नंबर की है.वह कभी, बांग्लादेश की सीमा से सटी मुस्लिम बस्तियों को घमंड से दिखाते हुए कहता था- यह है मिनी पाकिस्तान. मैंने ऐसे बहुत से पाकिस्तान बना दिए हैं.

ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने बंगाल को आंदोलित करना शुरू कर दिया. ममता बनर्जी की हिन्दू विरोधी और मुस्लिम समर्थक नीति ने हिन्दुओं को तृणमूल कांग्रेस से दूर करना शुरू कर दिया. इसके नतीजे में बंगालमें भाजपा मज़बूत हुई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से १८ सीटें झटक ली. इस घटना ने लोमड़ी ममता बनर्जी के कान खड़े कर दिए. उन्होंने अपने दाहिने हाथ फरहाद हाकिम को सक्रिय किया. फरहाद हाकिम ने राम- नामी ओढ़ ली. इस शिवरात्रि हाकिम शिव मंदिर में पूजा करता दिखाई दिया. इससे पहले, ममता बनर्जी की पार्टी की अभिनेत्री से एमपी बनी नुसरत जहाँ ने लोकसभा में हिन्दू सिंगार कर शपथ ली और दुर्गा पूजा मे जम कर हिस्सा लिया.

लेकिन, फरहाद हाकिम का हिन्दू संस्करण फायदा देता नज़र नहीं आ रहा है. फिलहाल तो हुआ यह है कि फरहाद को ताकतवर मुस्लिम मौलानाओं ने तनखैया यानि मुसलमान नहीं घोषित कर दिया है. अब देखने के बात होगी कि २०२१ के बंगाल विधान सभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को कितना फायदा होता है. फिलहाल तो ऐसा लग रहा है कि ममता बनर्जी को पढ़ने गए थे नमाज़, रोजे गले पड़े वाली स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.

भारत में भी सेफ नहीं हिन्दू !


अभी फेसबुक पर ही एक पोस्ट सुन रहा था। एक हिन्दू महिला, जिसका घर मुस्लिम दंगाइयों ने जला दिया था, वह बिलखते हुए पूछ रही थी, 'जब हिन्दुस्तान में हिन्दू सेफ़ नहीं तो और कहॉं होगा ?' यह सवाल न मुसलमानों से है, न सेक्यूलर हिन्दुओ से है। यह सवाल देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी से है कि जवाब दीजिये, 'हिन्दू आपके रहते भारत में सेफ़ नहीं है तो और कहॉं होगा? आप पर आज भी मुसलमान २००२ के दंगों का कलंक लगाते फिरते हैं। तब इन्हे आपके राज में इतनी हिम्मत कैसे मिल गयी कि मिनटों में दिल्ली आग के हवाले कर दी। हिन्दुओं को भारत में ही शरणार्थी बना दिया। इन लोगों के लिए कौन सा सीएए लायेंगे मोदी जी! जवाब तो देना होगा कि मुसलमानों में २००२ से पैदा हुआ आपका भय यकायक हवा कैसे हो गया कि यह लोग १५ दिसम्बर से दिल्ली में अब्दाली वाला तांडव कर रहे थे?'

हम सेक्युलर हैं



१९५९ में अमरीकी राष्ट्रपति आइजनहोवर भारत आये थे. हमारे सेक्युलर पंडित जवाहरलाल नेहरु ने आनंद भवन की पुरानी टट्टी वाले कमरे में उन्हें सुलाया था. खुद फटी हुई शेरवानी और चूड़ीदार पहन रखी थी. चहरे पर फिटकार बरस रही थी.

फिर १९६९ मे रिचर्ड निक्सन आये. तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपने पिता वाला कमोड धो पोंछ कर प्रधान मंत्री आवास के नौकरों वाले कमरे में रख दिया और उसमे निक्सन को ठहराया. उस समय इंदिरा गाँधी अपनी बाई की हुई सिली हुई धोती पहने थी. फटे ब्लाउज से झांकती अपनी लाज बचाने का वह भरसक प्रयास कर रही थी.

१९७८ में जिमी कार्टर भारत आये. पूर्व कांग्रेसी मोरारजी देसाई प्रधान मंत्री थे. नेहरु इंदिरा विरासत को सम्हालते हुए, उन्होंने वही कमोड और वही सर्वेंट रूम जिमी कार्टर को दे दिया.

२००० में बिल क्लिंटन आये. सांप्रदायिक वाजपेयी ने उनका बढ़िया स्वागत किया. डिसगस्टिंग वाजपयी. सेकुलरिज्म को इतनी तो जगह देते की हरे रंग के चिक लगा देते रूम में.

२००६ और २०१० में जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा भारत आते. मनमोहन सिंह प्रधान मंत्री थे. हमने सांप्रदायिक सरकार के स्वागत का भरपूर बदला लिया. अमेरिका को साफ़ लिख दिया कि हम टुटपूंजिये है. हमारे पास ओढ़ने और बिछाने को चादर नहीं है. सेकुलरिज्म के प्रतीक कुछ हरे चाँदतारे वाले परदे दे सकते हैं. बाकी का इंतज़ाम आप खुद कीजिये. मौनी बाबा ने घंटा कुछ नहीं किया. बस मैडम और कुमार साहेब और बेटी दामाद के साथ अमेरिकी डिनर और लंच जम कर खींचा. बुश और ओबामा छींक मार गए कि हिन्दुस्तानियों जैसा नंगा कोई नहीं.

पर इस मोदी ने हमारा अब तक का किया धरा सब मटियामेट कर दिया है. इसने गलीचपने की हमारी कोशिशो को पलीता लगा दीया. अमेरिकी समझने लगे हैं कि हम अमीर हो गये है. हमें विकासशील देशों से निकाल दिया है . अब भीख और छूट नहीं मिलेगी. यह मोदी है कि १०० करोड़ बिछा दिए स्वागत में?

हाय हाय कैपिटलिज्म.

सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

कैसी आज़ादी !

बहुत अच्छे

तुम चाहते थे

अपनी आज़ादी

अपने अधिकार

किस कीमत पर

दूसरों की आज़ादी छीन कर

दूसरों के अधिकार छीन कर

क्यों हैं तुम्हारी आज़ादी ही आज़ादी

क्यों है तुम्हारे अधिकार ही अधिकार

सोचोगे नहीं

कभी सोचते, तो सोचते

तुम्हे सड़क रोकने की आज़ादी है

दूसरों का चलना फिरना रोकने का अधिकार है

यह क्या है ?

आज़ादी नहीं, अधिकार नहीं तो यह क्या है ?


सोचो तुम, सोचोगे नहीं !

गुरुवार, 16 जनवरी 2020

पत्ते !


पतझड़ में पत्ते गिरते हैं

इधर उधर उड़ते, फैलते हैं

फिर गन्दगी नाम देकर

जला दिये जाते हैं

वह हरे पत्ते

जो पेड़ से गिरे थे ।

शनिवार, 11 जनवरी 2020

सीएए के विरोध में कश्मीर की आज़ादी क्यों ?



दरअसल, कांग्रेसियों और वामियों ने देश की राजनीति को गर्त में डाल दिया है. २०१४ के, सदमे के बाद से, विपक्ष कुछ इतना विक्षिप्त हो चुका है कि उसे राजनीति, विरोध, देश भक्ति, राष्ट्रीयता, हिन्दू, हिंदुत्व, आदि शब्दों से एलर्जी हो चुकी है. इनका केवल एक ही लक्ष रह गया है, किसी भी तरीके से कुछ ख़ास शब्दों का बार बार उपयोग और विरोध. २०१९ में बुरी तरह से हारने के बाद विपक्ष को, ख़ास तौर पर कांग्रेस को लगने लगा है कि वह कभी केंद्र की सत्ता में वापस आने वाले नहीं. दूसरी बार सत्ता में आने के बाद, जिस प्रकार से NDA सरकार ने देशहित में निर्णय लिए, इससे विपक्ष को लगने लगा है कि अब उनका बैंड बजने ही वाला है. इनके कोढ़ में खाज पैदा की सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के निर्णय ने. इनके हाथों से मुस्लिम तुष्टिकरण का एक बड़ा हथियार निकल गया है. उस पर, केंद्र सरकार, जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर रही है, उससे तमाम राजनीतिक दलों, नौकरशाहों, पत्रकार और सौदे में दलाली खाने वालों में हडकंप है. NCP के नेताओं के दाऊद इब्राहीम से संबंधों के खुलासे ने खतरे की घंटी बजा दी. अब भला हो शिवसेना का कि उद्धव ठाकरे पुत्र और मुख्य मंत्री की कुर्सी के मोह में पगला गए. कांग्रेस और दूसरे दलों को लगा कि अब अपना नया पैंतरा आजमाने का बढ़िया मौका है. उन्हें यह मौका मिला CAA के पारित होने के बाद. यहाँ हुआ यह कि गृह मंत्री अमित शाह ने, तेवर दिखा दिए. उन्होंने लोकसभा में बहस के दौरान कहा कि हम पूरे देश में NRC भी लायेंगे. जिस प्रकार से NDA सरकार ने मुस्लिम समाज की बुराइयों और स्त्री विरोधी कानूनों के खिलाफ कदम उठाये, उससे मुस्लिम समाज नाखुश था. मज़ा यह था कि ऐसा करते हुए भी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने शपथ के बाद मुसलमानों का विश्वास जीतने का आव्हान कर दिया. मुसलमानों और उनके नेताओं को लगा कि मोदी कमज़ोर पड़ रहा है या हमारे वोट पाने के लिए बेकरार है. इन सब घटनाक्रमों को तरतीब में रखते हुए कांग्रेस ने CAA का सम्बन्ध NRC और NRP से जोड़ते हुए मुसलमानों को बरगलाने का काम किया कि बीजेपी CAA से हिन्दुओं को नागरिकता दे देगी. इसमे मुसलमानों को नागरिकता देने का क़ानून नहीं है. इसलिए NRC का इस्तेमाल कर मुसलमानों को बाहर कर देगी. मोदी से खार और खौप खाए मुसलमानों ने कौवा कान ले गया को बिना कान छुए सही मान लिया और निकल आये सडकों पर तोड़फोड़ और आगजनी करने. यहाँ कांग्रेस और साथी दलों ने बेवकूफी यह की कि अपने शासन वाले राज्यों में मुसलमानों को प्रदर्शन नहीं करने दिया या न करने के लिए मना लिया. इसके नतीजे पर कांग्रेस और बाकी दल एक्स्पोज हो गए. बीजेपी शासित राज्यों ने हिंसा को कुचल दिया. तोड़फोड़ करने वालों से वसूली शुरू कर दी. उधर महाराष्ट्र और कर्णाटक आदि कुछ राज्यों में फ्री कश्मीर के प्लेकार्ड लहराए गए. यह प्लेकार्ड CAA विरोध का साथी है. इस विरोध में हिस्सा लेने वाले पेड लोग थे, जिन्हें इससे कोई मतलब नहीं था कि वह किसके लिए क्या विरोध कर रहे हैं. बॉलीवुड का आकर्षण खाद पानी का काम कर रहा था. इस मज़मे में शामिल ज़्यादातर बॉलीवुड के लोग बेकार बैठे फिल्म निर्माता निर्देशक और निकम्मे एक्टर थे. इनके कारण मजमा लगाना स्वाभाविक था. चूंकि, सरकार का विरोध करना था और विदेश में बदनाम करना लक्ष्य था. इसलिए मुंबई के गेटवे ऑफ़ इंडिया में प्रदर्शन करते हुए लोगों ने देश विरोधी नारे लगाए और फ्री कश्मीर के प्लेकार्ड लहराए. विरोध होने पर इस प्लेकार्ड का जैसा बचाव किया गया, वह इस आन्दोलन की पोल खोलने वाला था.

मगर, जनता सब जाने है. इस शासन से नुकसान खाए कुछ लोग और सत्ता के लालची लोगों के अलावा देश की ९० प्रतिशत जनता वर्तमान सरकार के साथ है. ख़ास तौर पर नरेन्द्र मोदी के. इसलिए उन्हें ही कमज़ोर करने की साज़िश की जा रही है. JNU Free Kashmeer, आदि इसी विरोध को धार देने के लिए पैदा हुए हैं. लेकिन, मोदी सरकार इतने हो हल्ले में भी अपना काम कर रही है. इसका आमजन में अच्छा प्रभाव पड़ा है?

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...