बुधवार, 19 जून 2019

आजकल


आजकल

आसमान पर

बादल गरजते हैं 

नेताओं की तरह।

सरल

आजकल

जितना कठिन है

सच को सच मानना

उतना ही सरल है

झूठ को सच बना देना।

मरने से पहले

कभी सोचता है आदमी !

मर जाने के बाद -
कहाँ जाएगा ?

कैसी जगह होगी ?

मेरे पास क्या होगा ?

कौन मिलेगा वहाँ ?
कौन होगा अपना,
कौन पराया ?

तब क्यों सोचता है ?
मरने से पहले,

कहाँ ! कैसे !! क्या और कितना !!!

अपना और पराया !

बुधवार, 12 जून 2019

इंतज़ार

बड़ी देर तक
इंतज़ार करते रहे वह
मेरी घड़ी बन्द थी
मैं समय का इंतज़ार करता रहा । 

बदनामी

तुम चाहते तो
परिचय
मॉंग सकते थे मेरा ।
पर तुमने ठीक समझा
 बदनाम करना मुझे । 

काला धन, कन्या धन


पिता ने जमा कर दिया था

काला धन

गरीब के

जन धन में

अमीर की बेटी के लिए

बन गया कन्या धन

शनिवार, 23 मार्च 2019

इमरजेंसी ख़त्म होने के बाद !


इमरजेंसी ख़त्म होने का ऐलान कर दिया गया था. इंदिरा गाँधी को उनकी ख़ुफ़िया एजेंसीज ने मशीनी सूचना दी थी कि अगर आज चुनाव हुए तो वह भारी बहुमत से जीतेंगी.
मदांध इंदिरा गाँधी और उनके राष्ट्रवादी बेटे ने आम चुनाव का ऐलान कर दिया. वह यह नहीं भांप पाए कि इमरजेंसी के भय से दुबकी जनता अपने राजनीतिक इरादों का खुला ऐलान इसे कर सकती थी.
उस समय हम लोग, पुराने लखनऊ के याहिया गंज में रहते थे. इंदिरा गाँधी की मामी शीला कौल दूसरी बार सांसद बनने के लिए खडी हुई थी. प्रचार करते हुए भीड़ के साथ वह मोहल्ले की गली से गुजरी. मैं उस समय अपने एक दोस्त की दूकान में बैठा हुआ था. उन्होंने बिलकुल मशीनी ढंग से वोट देने की प्रार्थना की और एक सेकंड खर्च किये बिना आगे बढ़ गई.
मैंने पीछे से तेज़ आवाज़ में पूछा,"आप पांच साल में तो एक बार भी नहीं दिखाई दी थी. आज वोट माँगने आई हैं."
यह सुन कर वह पलटी. बोली क्या कह रहे हो बेटा ! मैंने अपना सवाल दोहरा दिया.
वह बोली, आप जानते हो, सांसद का काम क्या होता है ? वह दिल्ली में कितना व्यस्त होता है?"
मैंने पूछा, "तब आपको वोट देने से क्या फायदा ? आप तो अगली बार भी नहीं आ सकेंगी."
उनके साथ चल रहे एक छुटभैये नेता और उनके चुनाव संचालक ने बात सम्हाली, "बेटा तुम बच्चे हो. बात नहीं समझते."
मैं कुछ कहता कि वह शीला कौल को आगे निकाल ले गए. हमारे घर के नीचे से गुजरे तो माँ और भाई बहन छज्जे से झांक रहे थे. वह छुटभैये नेता शीला कौल से बोले, "यह कांडपाल जी का घर है. इन्ही का बेटा है वह. यह पुराने कांग्रेसी है."
शीला कौल ने माँ को हाथ जोड़ दिए, बिलकुल रोबोट की तरह.
उस चुनाव में शीला कौल क्या जीतती, खुद इंदिरा गाँधी और संजय गाँधी भी नहीं जीत सके थे. आज के राहुल गाँधी के पप्पा तो उस समय प्लेन उड़ाया करते थे, जिसमे ज़ुबी कोछर उनकी एयर होस्टेस हुआ करती थी. ज़ुबी ने राजीव गाँधी से नज़दीकी का फायदा किस तरह से बजरिये दूरदर्शन उठाया उसकी कहानी प्रणव रॉय की कहानी से कुछ कम नहीं.

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...