गुरुवार, 19 जून 2014

बेटे तो बेटे होते हैं

बेटे तो बेटे होते हैं
एक माँ
सुबह उठ जाती
बेटे के लिए नाश्ता बनाती
उसे जगाती
नहलाती धुलाती
बस्ते में टिफ़िन रख कर
स्कूल बस तक छोड़ आती
एक दूसरी माँ
बेटे को अलार्म घडी से जगवाती
उसका नाश्ता
रात में सैंडविच बना कर रख देती
बेटे को अलार्म घड़ी उठाती
बेटा नहा कर स्कूल चला जाता
बेटे तो बेटे होते हैं
बेटे पढ़ लिख गए
बड़े आदमी बन गए
पर माँ के लिए '
बेटे तो बेटे होते हैं
इसलिए, दोनों बेटो ने
अपनी अपनी  माँ को
घर से निकाल दिया
क्योंकि,
बेटे तो बेटे होते हैं.


रविवार, 15 जून 2014

पिता की उंगली

आज पहली बार
मुझे एहसास हुआ
पिता के न होने का
ठोकर लगी
मैं लड़खड़ाया
घुटनों के बल गिर पड़ा
क्योंकि,
थामने को नहीं थी
पिता की उंगली .

गुरुवार, 12 जून 2014

अपनत्व

दुःख
ईर्षालु होता है
वह हमें सताता है
क्योंकि, हम
सुख को
प्यार करते हैं .
दुःख को अपना लो
सुख आपका होगा ही
दुःख भी आपको
सताएगा नहीं.   

रविवार, 8 जून 2014

दुश्मन जुबान

दोस्त,
पहचानो
अपने अंदर छुपे दुश्मन को
उसे नियंत्रित करो
मुंह के अंदर छिपी जुबान
जब जब
अनियंत्रित हो कर बाहर निकलती है
दुश्मन ही पैदा करती है. 

शनिवार, 10 मई 2014

प्रधानमंत्री जी

कल जब प्रधानमंत्री
अपना सामान पैक कर रहे होंगे
तब उनके साथ
प्रतिभा ताई की तरह
ट्रकों सामान का बोझ नहीं होगा.
निश्चय ही
बहुत थोड़ा सामान होगा
पर
बहुत बड़ा बोझ होगा
उस अपमान और असम्मान का
जो इस पद पर रहते हुए मिला
पर इससे भी ज़्यादा भारी होगा
दस साल लम्बी
चुप्पियों का बोझ. 

ठंडा चूल्हा पेट की आग

मेरे घर चूल्हा
खूब आग उगलता है
भदेली गर्म  कर देता है

भदेली की खिचडी
खदबदाने लगती है
इसके साथ ही
खदबदाने लगते हैं
मुन्नू की आँखों में,
सौंधी खिचड़ी के सपने। 
थोड़ी देर में
मुन्नू के पेट की आग
बुझा देती है खिचड़ी
फिर बुझा दिया जाता है चुल्हा
पर गरीब के घर
कभी बुझाया जाता नहीं
कभी न जलने वाला चूल्हा
कभी नहीं खदबदाती
भदेली में खिचड़ी 
पर चुन्नू की आँखों में
खदबदाते हैँ
खिचड़ी के सपने
क्यूंकि,
पेट की आग नहीं बुझा पाता
ठंडा पड़ा चूल्हा ।  


तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...