मंगलवार, 1 जनवरी 2013

न्यू इयर सेलिब्रेशन

नया साल सेलिब्रेट करने
निकले  थे कुछ लोग
नाचते रहे रात भर
डिस्को पर
झूमते रहे पी कर
पब में
जैसे ही बजा बारह का घंटा
बुझी और जली रोशनी
गूंज उठा  खुशियों भरा शोर
चढ़ गया  नशे का सुरूर
कुछ ज़्यादा थिरकने लगे थे
लड़खड़ाते पाँव ।
सेलिब्रेशन खत्म हुआ
सिर पर चढ़े नशे के साथ
लड़खड़ाते पैर
रोंद रहे थे सुनसान सड़क
तभी निगाह पड़ी
ठंड से काँपते अधनंगे शरीर पर
देखने से पता लग रहा था
शरीर जवान है-शायद अनछुवा भी
शराबी आँखें गड़ गयी जिस्म के खुले हिस्सों पर
आँखों आँखों में बाँट लिए अपने अपने हिस्से
नशे से मुँदती आँखों पर
चढ़ गया जवानी का नशा
गरम लग रहा था काँपता शरीर
घेर लिया दबोच लिया उसे
कामुकता भरे उत्साह से
उछलने लगे उसके शरीर के चीथड़े
बोटी तरह नुचने लगा शरीर
कामुक किलकारियाँ और हंसी
डिस्को कर रही थी दर्द भरी चीख़ों के साथ
शायद बहरे हो चुके थे आसपास के कान
न जाने कितनी देर तक
मनता रहा हॅप्पी न्यू इयर
जब खत्म हुआ
दरिंदगी का उत्सव
फूटपाथ  पर रह गया
कंपकँपाता शरीर 
जिसे दरिंदों की तरह
ज़्यादा कंपा रही थी शीत लहर ।





 

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

लाठी

हमारे घर में
बाप भाई होते हैं
जो हक़ीक़त में मर्द होते हैं
हमारे घर में
माँ, बेटी और बहन नहीं होती
सिर्फ औरते होती हैं
या लड़कियां होती हैं
औरतें/जिन्हे मर्द
बाप बन कर या
भाई बन कर
नियंत्रित करते हैं
क्योंकि,
औरतें
नाक कटा सकती हैं
बलात्कार की शिकार हो कर
या विजातीय विवाह कर
हमारे घर में
बेटे नहीं होते
लठियाँ  होती हैं
ताकि/ बुढ़िया
टेक लगा सके
लड़खड़ाए नहीं।

मंगलवार, 13 नवंबर 2012

उदास उजाला

कल
दीपावली के प्रकाश में नहाया मैं
आतिशबाजी की रोशनी से चकाचौंध
पटाखों के शोर से बहरा
देख नहीं सका
ठीक पीछे की अंधरी झोपड़ी को
और सुन नहीं सका
झोपड़ी में उदास बैठे
नन्हे की सिसकियाँ 

रविवार, 11 नवंबर 2012

सिर्फ दो पंक्तियाँ नहीं

चाहा था तुमने मेरा दामन दागदार करना
बात दीगर है कि  तुम्हारे हाथ मैले हो गए .

वह कुछ समझते नहीं, मैं समझ गया,
यही बात समझाना चाहते थे शायद।

बल्बों की लड़ियाँ सजाने से बात न बनेगी
दो जोड़ आँखों की कंदीलें जलाओ तो समझूं .

दूर तक जाते खड़े देखते रहे मुझको
कुछ कदम बढाते तो साथ पाते मुझको।

मैंने एक दीया जला के परकोटे पे रख दिया है,
शायद कोई भटकता हुआ मेरे घर आ रहा हो।
 

रिक्तता

मेरा देखना का नजरिया थोडा अलग है
मैं आधा भरा गिलास नहीं
मैं आधा खाली गिलास देखता हूँ
मुझे उत्तर पुस्तिका की रिक्तता में
खेत के खाली हिस्से में
अधूरे इंसान में
संभावनाएं दिखती  हैं
आधे गिलास को मैं पूरा भर सकता हूँ
उत्तर पुस्तिका के रिक्त पृष्ठों पर मैं
जीवन के कठिन प्रश्न हल कर सकता हूँ
खाली खेत की निराई, गुड़ाई और बुवाई कर
उम्मीद की फसल बो सकता हूँ
खाली गिलास, रिक्त पृष्ठ और अनबुआ  खेत की तरह
अधूरे इंसान को पूरा करना ही
दृष्टिकोण है मेरा।

बुधवार, 7 नवंबर 2012

निराशा

कभी/जब
आशा साथ छोड़ जाए
चारों ओर निराशा ही निराशा हो
तब घबराओ नहीं
निराशा को दोस्त बनाओ
उससे प्यार करो
वही बताइएगी आशा की राह
क्यूंकि
निराशा सबसे अधिक
अनुभवी होती है
उसे हर कोई ठुकराता है
उसे हमसे ज़्यादा
दर दर की ठोकरें जो मिलती हैं
वह हमेशा
आशा की जगह लेने के लिए
आशा का पीछा करती रहती है
इसीलिए वह
भगवान से भी ज़्यादा जानती है
कि आशा कहाँ मिलेगी।

बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

ज़िंदा

मूर्ति की भांति
मैं खड़ा था
निःचेष्ट ।
एक व्यक्ति आया
उसने मुझे देखा
मैं हिला नहीं।
फिर ज़्यादा लोग आए
किसी ने मुझे छुआ
बांह से/बालो से/ सीने से
मैं कसमसाया तक नहीं
कुछ ने मेरी नाक उमेठी
बाल खींचे
आँख में उंगली डाल दी
मैंने कोई विरोध नहीं किया।
फिर सब चले गए
मैं अकेला रह गया
चौकीदार आया
मेरी बांह पकड़ कर बोला-
चल बाहर चल,
मुझे मोमघर बंद करना
तुझे अंदर नहीं रख सकता
क्योंकि तू
सचमुच ज़िंदा है।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...