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फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सोशल मीडिया के विदेश मंत्रियों की बजबजाती गली

सोशल मीडिया के विदेश मंत्रियों की दशा देखनी हो उनकी गली चले जाइए. गली की नाली बज- बजा रही है.  गंदा पानी भरा हुआ है. यह विदेश मंत्री घर का दरवाजा खोलते हैं. पानी भरा देख कर दो काम कर सकते है यहलोग.  या तो सफाई कर्मचारी को बुदबुदाहट में (ध्यान रखियेगा कि यह समस्या इनके सोशल मीडिया पेज पर नहीं आयेगी. सफ़ाई कर्मचारी पर चिल्लाने की औकात नहीं. पैंट की सीयन जो उधडी हुई है) कोसते हुए घर मे दुबक जाएंगे या फिर दूसरों द्वारा लगाई गई ईंटों पर डिस्को करते हुए गुजर जाएंगे. भारत सरकार को विदेश नीति समझाने वाले नाली मे फंसी ईंट या कचरा को डंडे से धकेल कर बाहर नहीं कर सकते ताकि नाली खुल जाये और गली में भरा पानी निकल जाये. इनके कलेजे मे इतनी जान ही नहीं कि बीवी या मोहल्ले वालों या गली के शरारती बच्चों से कह सकें कि कूड़ा नाली मे मत फेंका करो, बच्चों से कह सके कि खेलते हुए ईंट नाली मे मत डालो. हिम्मत ही नहीं है इन सोशल मीडिया वाले विदेश मंत्रियों की.

दर्द

जब घुटनों में दर्द होता है  मैं बाम नहीं लगाता न लगाने देता हूं किसी को  तब याद आती है माँ  उसके घुटने भी दर्द करते थे  किसी से मलवाती नहीं थी अपने कमजोर हाथों से घुटने सहलाती  बाम लगा लेती इसीलिए बाम नहीं लगाता  मैं महसूस करना चाहता हूं  माँ का दर्द.

अदृश्य सत्य

मैंने सत्य से पूछा-  सत्य क्या है? सत्य मुस्कुराया, बोला-  मैं तुम्हारे सामने खड़ा हूँ, यह सत्य है.   तब असत्य क्या है ? मेरे प्रश्न पूछते ही  सत्य अदृश्य हो गया.