आटे का दूध पीता
चावल का माड़ गटकता
बासी रोटी को
ताज़ी के अंदाज़ में चबाता
कोई न कोई बच्चा
आज यह ज़रूर पूछेगा-
माँ,
हमारे चाचा क्या करते थे !
तब माँ कहेगी-
बेटा, वह देश चलाते थे
दुनिया को शांति का सन्देश देते थे
उन्होंने ही
दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
गुट निरपेक्षता का सन्देश दिया
वह लालों के लाल थे
जवाहर लाल थे .
तब क्या
बेटा यह न पूछेगा कि
माँ...मेरी प्यारी माँ
चाचा देश चलाते थे,
पिता जी रिक्शा क्यों चलाते हैं
उन्होंने दुनिया को शांति का सन्देश दिया
हमें रोटी क्यों नहीं दे सके
दुनिया को गुट निरपेक्षता की
अहमियत बताने वाले चाचा
देश में गरीब और गरीबी की
अहमियत क्यों नहीं समझे
उन्होंने दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
हमें शीत से युद्ध करने के लिए क्यों छोड़ दिया
वह लालों के लाल जवाहर लाल थे
तो पिता कंगाल क्यों थे
क्या कहेगी माँ !
चावल का माड़ गटकता
बासी रोटी को
ताज़ी के अंदाज़ में चबाता
कोई न कोई बच्चा
आज यह ज़रूर पूछेगा-
माँ,
हमारे चाचा क्या करते थे !
तब माँ कहेगी-
बेटा, वह देश चलाते थे
दुनिया को शांति का सन्देश देते थे
उन्होंने ही
दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
गुट निरपेक्षता का सन्देश दिया
वह लालों के लाल थे
जवाहर लाल थे .
तब क्या
बेटा यह न पूछेगा कि
माँ...मेरी प्यारी माँ
चाचा देश चलाते थे,
पिता जी रिक्शा क्यों चलाते हैं
उन्होंने दुनिया को शांति का सन्देश दिया
हमें रोटी क्यों नहीं दे सके
दुनिया को गुट निरपेक्षता की
अहमियत बताने वाले चाचा
देश में गरीब और गरीबी की
अहमियत क्यों नहीं समझे
उन्होंने दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
हमें शीत से युद्ध करने के लिए क्यों छोड़ दिया
वह लालों के लाल जवाहर लाल थे
तो पिता कंगाल क्यों थे
क्या कहेगी माँ !