इंसान
अगर सांप्रदायिक होता
तो माँ के गर्भ से
उसके हाथ में कटार या तलवार होती
आँखे शोले उगल रही होती
होठों पर नफ़रत के बोल होते.
वह बंद मुट्ठी में
अपनी तकदीर न लाया होता,
उसकी आँखों में करुणा नहीं होती
वह माँ माँ कह कर
बिलख न रहा होता.
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