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शरीर

ईश्वर ने इंसान को
दो हाथ और दो पाँव
दो छिद्रों वाली एक नाक के ठीक ऊपर दो आँखें
बत्तीस दांत
और उनके बीच लचीली जीभ
इसलिए नहीं दी कि
अपने पैरों तले
मानवता को रौंद दे
हाथों से रक्तपात और अशुभ करे ।
बुरा सूंघने और देखने के लिए नहीं हैं
दो आंखे और एक नाक
दूसरों को काटने के लिए नहीं हैं दाँत 
क्योंकि
बोलने की आज़ादी की रक्षा के लिए हैं दाँत
मानवता को बचाने के लिए हैं हाथ
अन्यायी के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने के लिए हैं पैर
नाक के दो छेद और आँखें
अच्छा और बुरा समझने बूझने
और देखने के लिए हैं ।
मगर ऐसा क्यों नहीं हो पाता ?
क्योंकि,
हमारे हृदय में नहीं बहता
इंसानियत का खून
नियंत्रण में नहीं होता मस्तिष्क
बल्कि,
नियंत्रित करते हैं दूसरे
जो इंसानियत जैसा नहीं सोंचते ।



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