रुक जाओ !
कहा समय ने
घड़ी की सेकंड, मिनट और घंटे की सुइयां रुक गयीं
समय ने
सेकंड की सुई को डपटा-
कितना तेज़ चलती हो
क्या सबसे आगे निकल जाना चाहती हो?
कम से कम मिनट के साथ तो चलो
फिर मिनट को डपटा-
तुम घंटे से लम्बी हो
इसका मतलब यह नहीं कि
उसे परास्त करने की कोशिश करो
तुम्हारी प्रतिस्पर्द्धा सेकंड से नहीं
फिर घंटे से कहा-
ओह, सेकंड एक चक्कर लगा चुकी है
तुम साठवां भाग ही हिले हो
तुम मिनट के साठ डगों को
अपने एक डग से नापना चाहते हो
इतनी सुस्ती भी ठीक नहीं
थोडा तेज़ चलो .
घंटा शांत ही रहा
बोला- हे समय
हम सब अपना काम कर रहे हैं
सेकंड युवा है, उसमे ऊर्जा है
वह एक मिनट में दुनिया नाप लेना चाहती है
क्या दुनिया नापी जा सकती है ?
मिनट अनुभवी है
जानता है कि फूँक फूँक कर भरा डग
मुझे सहारा देता है
और मैं
हर एक सेकंड
हर एक मिनट के साथ मिल कर
केवल घंटे नहीं बनाता
मैं चौबीस घंटे में एक दिन बनाता हूँ
हर दिन कुछ नया होता है, देश का इतिहास बनता है
तभी तो तुम समय कहलाते हो,
काल और अतीत बनाते हो .
अपनी नादानी पर शर्मिंदा समय आगे बढ़ लिया
सेकंड खिलखिलाते हुए डग भरने लगी
मिनट फूँक फूँक कर कदम रखने लगा
और घंटा इतिहास बनाने में जुट गया है।
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