सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पंछी

सुबह होने को है 
एक पंछी जागता है 
उसके जगे होने का एहसास कराती  है 
उसके पंखों की फड़फड़ाहट 
जैसे झटक देना चाहता हो 
कल की थकान और सुस्ती .
वह आँख खोलता है 
घोसले से झाँक कर कुछ देखना चाहता है 
धुंधलके के बीच से 
फिर दोनों पंजों के बल 
खड़ा हो जाता है पेड़ की डाल पर 
उसे उड़ना ही होगा 
जाना होगा दूर तक 
कुछ खाने की खोज में 
बरसात से घर बचाने को 
तिनकों की तलाश करनी ही होगी 
उड़ चलता है वह 
जोर की आवाज़ करता 
ताकि और साथी भी जग जाएँ 
वह भी तलाश कर लें अपने भविष्य की 
यह सुन कर 
अभी तक बादलों की ओट में 
आलस करने की कोशिश करता सूरज 
बाहर निकल आता है 
जैसे सलाम कर रहा हो 
पंछी की भविष्य की कोशिशों को .
और तभी 
खिल उठता है आकाश पर 
इन्द्रधनुष ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तनाव

जब तनाव अधिक होता है न  तब गाता हूँ  रोता नहीं  पड़ोसी बोलते हैं-  गा रहा है  मस्ती में है  तनाव उनको होता है  मुझे तनाव नहीं होता। 

अंततः अश्व: तीन हाइकु

अश्व की शक्ति  मनुष्य का मस्तिष्क  घर मे बंधा।  2  अश्व की गति  मनुष्य से स्पर्द्धा मे   कोसों दूर है । 3  अश्व की निष्ठा  मानव का विश्वास  अश्व विजयी। 

कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...