सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

कैसी आज़ादी !

बहुत अच्छे

तुम चाहते थे

अपनी आज़ादी

अपने अधिकार

किस कीमत पर

दूसरों की आज़ादी छीन कर

दूसरों के अधिकार छीन कर

क्यों हैं तुम्हारी आज़ादी ही आज़ादी

क्यों है तुम्हारे अधिकार ही अधिकार

सोचोगे नहीं

कभी सोचते, तो सोचते

तुम्हे सड़क रोकने की आज़ादी है

दूसरों का चलना फिरना रोकने का अधिकार है

यह क्या है ?

आज़ादी नहीं, अधिकार नहीं तो यह क्या है ?


सोचो तुम, सोचोगे नहीं !

गुरुवार, 16 जनवरी 2020

पत्ते !


पतझड़ में पत्ते गिरते हैं

इधर उधर उड़ते, फैलते हैं

फिर गन्दगी नाम देकर

जला दिये जाते हैं

वह हरे पत्ते

जो पेड़ से गिरे थे ।

शनिवार, 11 जनवरी 2020

सीएए के विरोध में कश्मीर की आज़ादी क्यों ?



दरअसल, कांग्रेसियों और वामियों ने देश की राजनीति को गर्त में डाल दिया है. २०१४ के, सदमे के बाद से, विपक्ष कुछ इतना विक्षिप्त हो चुका है कि उसे राजनीति, विरोध, देश भक्ति, राष्ट्रीयता, हिन्दू, हिंदुत्व, आदि शब्दों से एलर्जी हो चुकी है. इनका केवल एक ही लक्ष रह गया है, किसी भी तरीके से कुछ ख़ास शब्दों का बार बार उपयोग और विरोध. २०१९ में बुरी तरह से हारने के बाद विपक्ष को, ख़ास तौर पर कांग्रेस को लगने लगा है कि वह कभी केंद्र की सत्ता में वापस आने वाले नहीं. दूसरी बार सत्ता में आने के बाद, जिस प्रकार से NDA सरकार ने देशहित में निर्णय लिए, इससे विपक्ष को लगने लगा है कि अब उनका बैंड बजने ही वाला है. इनके कोढ़ में खाज पैदा की सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के निर्णय ने. इनके हाथों से मुस्लिम तुष्टिकरण का एक बड़ा हथियार निकल गया है. उस पर, केंद्र सरकार, जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर रही है, उससे तमाम राजनीतिक दलों, नौकरशाहों, पत्रकार और सौदे में दलाली खाने वालों में हडकंप है. NCP के नेताओं के दाऊद इब्राहीम से संबंधों के खुलासे ने खतरे की घंटी बजा दी. अब भला हो शिवसेना का कि उद्धव ठाकरे पुत्र और मुख्य मंत्री की कुर्सी के मोह में पगला गए. कांग्रेस और दूसरे दलों को लगा कि अब अपना नया पैंतरा आजमाने का बढ़िया मौका है. उन्हें यह मौका मिला CAA के पारित होने के बाद. यहाँ हुआ यह कि गृह मंत्री अमित शाह ने, तेवर दिखा दिए. उन्होंने लोकसभा में बहस के दौरान कहा कि हम पूरे देश में NRC भी लायेंगे. जिस प्रकार से NDA सरकार ने मुस्लिम समाज की बुराइयों और स्त्री विरोधी कानूनों के खिलाफ कदम उठाये, उससे मुस्लिम समाज नाखुश था. मज़ा यह था कि ऐसा करते हुए भी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने शपथ के बाद मुसलमानों का विश्वास जीतने का आव्हान कर दिया. मुसलमानों और उनके नेताओं को लगा कि मोदी कमज़ोर पड़ रहा है या हमारे वोट पाने के लिए बेकरार है. इन सब घटनाक्रमों को तरतीब में रखते हुए कांग्रेस ने CAA का सम्बन्ध NRC और NRP से जोड़ते हुए मुसलमानों को बरगलाने का काम किया कि बीजेपी CAA से हिन्दुओं को नागरिकता दे देगी. इसमे मुसलमानों को नागरिकता देने का क़ानून नहीं है. इसलिए NRC का इस्तेमाल कर मुसलमानों को बाहर कर देगी. मोदी से खार और खौप खाए मुसलमानों ने कौवा कान ले गया को बिना कान छुए सही मान लिया और निकल आये सडकों पर तोड़फोड़ और आगजनी करने. यहाँ कांग्रेस और साथी दलों ने बेवकूफी यह की कि अपने शासन वाले राज्यों में मुसलमानों को प्रदर्शन नहीं करने दिया या न करने के लिए मना लिया. इसके नतीजे पर कांग्रेस और बाकी दल एक्स्पोज हो गए. बीजेपी शासित राज्यों ने हिंसा को कुचल दिया. तोड़फोड़ करने वालों से वसूली शुरू कर दी. उधर महाराष्ट्र और कर्णाटक आदि कुछ राज्यों में फ्री कश्मीर के प्लेकार्ड लहराए गए. यह प्लेकार्ड CAA विरोध का साथी है. इस विरोध में हिस्सा लेने वाले पेड लोग थे, जिन्हें इससे कोई मतलब नहीं था कि वह किसके लिए क्या विरोध कर रहे हैं. बॉलीवुड का आकर्षण खाद पानी का काम कर रहा था. इस मज़मे में शामिल ज़्यादातर बॉलीवुड के लोग बेकार बैठे फिल्म निर्माता निर्देशक और निकम्मे एक्टर थे. इनके कारण मजमा लगाना स्वाभाविक था. चूंकि, सरकार का विरोध करना था और विदेश में बदनाम करना लक्ष्य था. इसलिए मुंबई के गेटवे ऑफ़ इंडिया में प्रदर्शन करते हुए लोगों ने देश विरोधी नारे लगाए और फ्री कश्मीर के प्लेकार्ड लहराए. विरोध होने पर इस प्लेकार्ड का जैसा बचाव किया गया, वह इस आन्दोलन की पोल खोलने वाला था.

मगर, जनता सब जाने है. इस शासन से नुकसान खाए कुछ लोग और सत्ता के लालची लोगों के अलावा देश की ९० प्रतिशत जनता वर्तमान सरकार के साथ है. ख़ास तौर पर नरेन्द्र मोदी के. इसलिए उन्हें ही कमज़ोर करने की साज़िश की जा रही है. JNU Free Kashmeer, आदि इसी विरोध को धार देने के लिए पैदा हुए हैं. लेकिन, मोदी सरकार इतने हो हल्ले में भी अपना काम कर रही है. इसका आमजन में अच्छा प्रभाव पड़ा है?

गुरुवार, 21 नवंबर 2019

बच्चे ने कहा

बच्चे ने पूछा - नाना, तुम्हारे नाना कहाँ हैं ?

नाना- मेरे पास मेरे नाना नहीं हैं।

बच्चा- तुम्हारे नाना तुम्हारे पास क्यों नहीं  हैं ?

नाना- वह भगवान् के पास चले गए है।

बच्चा- भगवान् के पास क्यों चले गए हैं ?

नाना- भगवान् ने उन्हें बुला लिया था ।

बच्चा- भगवान् ने उन्हें क्यों बुला लिया ?

नाना- जो लोग अच्छे काम करते हैं, भगवान् उन्हें बुला लेते हैं।

बच्चा- भगवान उन्हें क्यों बुला लेते हैं ?

नाना- क्योंकि, उन्हें भी अच्छे लोगों की ज़रुरत होती है।


बच्चा (कुछ सोचने के बाद) - लोग अच्छे काम क्यों करते हैं! नाना, तुम अच्छे काम नहीं करना। वरना भगवान् तुम्हे भी बुला लेंगे।

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

अकेला


मैं अकेला ही था

चलता रहा उस राह पर

बना दिये थे पैरों के निंशान

आज उस पगडंडी पर

सैकड़ों चलते है

जिस राह पर चला था

मैं अकेला ।

रविवार, 15 सितंबर 2019

बेटा आ गया !


माँ ने कहा था

बेटा, जल्दी लौट आना

बेटा शहर गया

बेटे से मशीन बन गया

मशीन की खट खट में

माँ की पुकार खो गई

बरसों बीत गए

बेटा लौटा

हाथों में नोटों का थैला था 

लेकिन, माँ नहीं थी !

वह फोटो बन गई थी

बेटे ने चन्दन की माला चढ़ा दी

बोला - मैं आ गया माँ !

पांच हाइकू

घने बादल

लो सूर्यदेव झांके

आशा किरण।



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आकाश पंछी

छूना चाहे क्षितिज

लौट आना है।



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बहती हवा

उड़ती घटाएं भी

मनुष्य जैसे।



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सड़क गीली

घर- बाहर तक

तन भी गीला । 



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वृक्ष कहाँ हैं

चिड़िया बोले कैसे

हमारा घर।  

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...