गुरुवार, 7 अगस्त 2014

संपर्क - सेतु

नदी पर बना पुल
दोनों ओर बसी
आबादी को जोड़ता
लोग पुल  पार कर
रोज ही मिलते
हाल चाल जानते
गीले शिक़वे करते और सुनते
फिर गले मिल कर
वापस लौट जाते
हर दिन जमता मेला
कभी इस ओर
कभी उस ओर 
खूब खुशियां मनतीं
एक दिन पुल को
बहा ले गया सैलाब
टूट गया संपर्क सूत्र
बढ़ने लगी दूरियां
बढ़ने लगे मतभेद
जुटने लगी उग्र भीड़
उछलने लगे कठोर जुमले
अब तो पहुंचती है
एक दूसरे की बात
नुकीले पत्थरों से
संपर्क सेतु टूटेगा
तो,
और क्या होगा !!!

सोमवार, 21 जुलाई 2014

तस्वीर

चित्रकार ने बनायी थी
एक सुन्दर तस्वीर
लम्बी उँगलियों से खींची थी
रेखाएं
भावनाओं, उमंगों और उम्मीदों के भरे थे
रंग 
बड़ी खिलखिलाती
भविष्य में झांकती आँखों वाली
तस्वीर
कई आँखों ने देखा
चित्रकार की कला को सराहा
कुछ गंदी आँखों ने देखा
भद्दी मुस्कराहट फेंकी
कामुक हांथों से छुआ
पहले धब्बे पड़े
फिर दागदार हुई
अंत में गंदी हो गयी
गैलरी के कोने में
खडी कर दी गयी
सुन्दर तस्वीर।  

बारिश १, २,३, ४, ५

बरसात में
हम तुम मिले
क्या ही अच्छा हो
रोटी मिले.
२-
गरीब को
बारिश से डर नहीं लगता
उसे डर लगता है
टपके से .
३-
बारिश में गरीब
भीगता ज़रूर है
पर भीगता नहीं
क्योंकि,
बरस जाती है झोपड़ी
गीला हो जाता है
आटा.
४-
बाढ़ से डरा हुआ
आदमी और सांप
एक साथ
सांप ने कहा-
डरो नहीं
काटूँगा नहीं
इस मुसीबत में .
आदमी ने
मार दिया सांप को
कम हो गयी
एक मुसीबत .
५-
बारिश में
मुन्ना भीगता नहीं
कहीं कोई
नंगा भीगता है!

रविवार, 20 जुलाई 2014

चीखें

अंधे अंधकार में डूबे
घोर वीराने में
चीख रही है
एक लड़की
जज़्ब हो रहे हैं
उसके
बचाओ बचाओ के शब्द
खामोश सीनों में।
कल सुबह तक
खामोश हो जाएंगी उसकी चीखें
तब ढूंढें जायेंगे सबूत
कि उसके साथ
यह हुआ था
वह नहीं हुआ
ऐसे में
कौन चाहेगा
लड़की हो।  

गुरुवार, 17 जुलाई 2014

रविवार, 29 जून 2014

दांत, बच्चे और कोख

मैं बबूल हूँ
मेरे नज़दीक रहो
कांटे चुभेंगे
स्वाद में कड़वा हूँ
फिर भी
सलामत रहेंगे
तुम्हारे दांत !
२-
जीत रहा था मैं
फिर भी हार गया 
क्योंकि, उन्हें
हारना पसंद नहीं
बच्चे ऐसे ही होते हैं.
३-
 कोख
किराये की नहीं होती
कोख
माँ की होती है.

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...