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संदेश

कुर्सी

वह खड़े थे मेरी मुखालफत में मैंने कुर्सी दी वह बैठ गए. २- कुर्सी में वह सिफत है यारों बेपेंदी के लोटे भी लुढक लेते है. ३- कुर्सी  के चार पाएं होते हैं तभी तो अच्छा खासा लीडर लोमड़ी बन जाता है. ४-  काम करने के लिए होती है कुर्सी मैंने गद्दी लगा ली और राज करने लगा ५- कुर्सी लकड़ी की होती है तभी पत्थर दिल बैठ पाता  है ६- 'आप' को कुर्सी मिली 'मैं' बैठ गया.

खिड़की वाले सांता

बच्चे ने माँ से कहा- सांता क्लॉज़ आये चले गए हैप्पी न्यू इयर आने वाले हैं माँ यह कौन लोग है जिनके आने से सामने का घर रोशन रहता है हमारे यहाँ अँधेरा माँ बोली- यह बड़ों के बड़े लोग है सांता का छोटा भाई हैप्पी न्यू इयर है जहाँ सांता जाता है वहीँ हैप्पी भी खुशियों का उपहार देने सांता को चाहिए एक अदद खिड़की उपहार उड़ेलने के लिए पर हमारे पास छत तक नहीं. इसलिए सांता और हैप्पी खिड़कियों वाले घर ही जाते हैं. 

सर्दी में

सर्दी में जो लोग कुछ नहीं पहनते वह जाडा खाते हैं लेकिन, जो कपडे नहीं पहन पाते जाड़ा उन्हें खा जाता है. देखा, सर्दी भी कपड़ों का फर्क समझती है!          

जीवन

आँख खुली भाव चेहरे पर आये शब्द कुनमुनाए आह ! सुबह हो गयी !!! २- हवा चेहरा छूती बदन सहलाती बढ़ जाती आगे कहीं बहुत दूर मुझसे ३- सूरज निकला चिड़ियाँ बोली पहले एक इंसान ने आँखें खोली फिर दूसरे, तीसरे और... जीवन जाग गया. ४- ट्रेन बस जहाज मनुष्य चलाता हा मनुष्य बैठता है तब क्यों नहीं यह तीनों इंसान क्योंकि, इनसे मनुष्य  उतर जाता है . ५- आदमी आता है आदमी जाता है जाने के बाद फिर वापस आता है तभी तो एक मकान घर बन जाता है.

तीन खिलौने

खिलौना टूट गया पर खेला कौन ! २- खिलौना आदमी की तरह मिटटी का होता है मिटटी में मिल जाता है . ३- बेटी रो रही थी मुझे याद आया कभी मेरे हाथों से छूट कर खिलौना टूट गया था मैं इसी तरह फूट फूट कर रो रहा था मैंने बेटी को खिलौना ला दिया बेटी मुस्कुरा पड़ी पर मेरी आँखे गीली थीं क्योंकि, मुझे किसी ने खिलौना नहीं दिया था.

पांच क्षणिकाएं

१- प्रीतम मेरे वियोग के दिन गिनना पर दिन मत गिनना. २- मुझे जब तुम मिले मैं मिल लिया खुद से. ३- ओह सड़क इतनी खामोश क्यों है सवेरा ! ४- दो प्रकार की होती है भूख दो लोगों की मिटाती है और मिटती है . ५- हर झुकी आँख शर्म नहीं होती कुछ लोग आँख नहीं मिलाते .

पांच हाइकू

ठंडी  हवाएं उनकी आहट है कानों को लगी. २- पीला सूरज थके हुए चेहरे शाम वापसी . ३- पेट की भूख सूखे पड़े हैं खेत अनाज कहाँ . ४- पिया न आये मुंडेर पर कौव्वा प्रतीक्षा ख़त्म . ५- दरवाज़ा खुला प्राण निकल गए डॉक्टर आया.