रविवार, 18 अगस्त 2013

हाथ - पांच क्षण

किसी के मरने पर लोग 
चाकू को दोष  देते हैं
उसकी धार कुंद कर देते हैं
लेकिन, हाथ !
वह सदा हमारे साथ.   

२ )
बनाने के लिए
घरौंदा
जुटते हैं दोनों हाथ
गिराने के लिए
घरौंदा
काफी है एक ही हाथ  .

३)
चढते सूरज को
जोड़ते हैं दोनों हाथ
जलने से
कौन नहीं डरता

४)
माता पिता
दामाद को
थमा देते हैं
बेटी का हाथ
फिर नहीं देते
बेटी का साथ। 

५)
पौंधा रोपने के लिए
हाथ सहेजते हैं
पौंधे को
पेड़ काटने के लिए
हाथ पकड़ते हैं
कुल्हाड़ी को !

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

सान

कातिलों के बाजुओं की फिक्र नहीं मुझे,
हथियारों में उनके इतनी सान नहीं होती है।
डर लगता है उन बददुआओं के नश्तरों से मुझे
जिन बेबसों की कोई जुबान नहीं होती है।

पांच क्षणिकाएं

किसी ने देखा नहीं
कोई देखता भी नहीं
लेकिन देखो तो
तुम्हारी चौपाल में
कैसे कैसे लोग
कैसे कैसे फैसले लेते हैं
लोकतंत्र हत्यारे
अपराधियों को बचाते हैं
खुद को लोक सभा कहते हैं.

(२)
सेनाएं
कभी नहीं हारतीं
हारते हैं वह लोग
जो डरते हैं
मौत से। 

(३)
प्रधानमंत्री ने
आज़ाद कर दिया
रस्सी खींच कर
हवा में
झंडे को। 

(४)
मांसाहारी होते हैं
वो
जो लोगों को
समझते हैं
भेड़ बकरी।

(5)
आम तौर पर
मरते हुए लोग
आँख खोल कर
इसलिए नहीं मरते, कि,
उन्हे मोह है रहता है
इस दुनिया का !
बल्कि,
खुली रहती है उनकी आँखें
इस आश्चर्य में कि
इतने सारे लोग
 फिर भी ज़िंदा रहेंगे।

जो शाम निकले थे सुबह की किरण ढूँढने
रात सो कर सुबह के उजाले में खो गए।

जिन्होंने जलाये रात जाग जाग कर सूरज
हजारों ख्वाबों हो गये. 

 

सोमवार, 29 जुलाई 2013

मूंछ नहीं पूंछ

अफसोस !
मेरे एक पूंछ नहीं
मूंछ है
पूंछ होती तो हिला लेता
भ्रष्टाचार के महाकुंभ में
कुछ कमा लेता
मूंछ मूंछ होती है
आज के जमाने में
पूछ नहीं होती है
तभी तो
तमाम मूंछ वाले
मूंछे कटा कर
दुम बना कर
सत्ता के आगे पीछे
हिला रहे हैं
भ्रष्टाचार के कुम्भ में जा कर
पाप नाशनी गंगा में नहा कर
हर हर चिल्ला रहे हैं
जनता की कमाई हर कर 
खूब कमा रहे हैं। 

 

शनिवार, 13 जुलाई 2013

कुत्ते की मौत पर

मेरी गाड़ी से कुचल कर
एक कुत्ता मर गया
मैं दुखी था
कुत्ते की मौत पर
मगर  दुखी नहीं हो सकता था
क्योंकि,
मेरे मोहल्ले में
सभी धर्मों
और उनके अंदर
जातियों के लोग रहते हैं
और सेकुलर भी।

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

माँ का चैन

बच्चों के स्कूल खुल गए हैं,
माँ सुबह उठ कर
जल्दी कुल्ला मंजन कर
चौके में घुस गयी है
वह नाश्ता बनाती,
टिफ़िन पैक करती है
फिर
बच्चों को ड्रेस पहना कर
टिफिन बस्ते में ठूंस देती है
बच्चे
माँ के गालों को चूम कर
चिल्लाते हुए टाटा टाटा कह कर
चले जाते हैं
माँ पसीना पोंछती हुई
सोफ़े पर बैठती है
और ज़ोर से चैन की सांस लेती है ।
बच्चों के जाने के बाद
माँ क्यों लेती है
चैन की सांस !     

रविवार, 30 जून 2013

माँ का व्रत

माँ हमेशा व्रत रखतीं
कभी पति के लिए
कभी लड़का पैदा होने के लिए
कभी संतान की मंगलकामना के लिए
तो कभी घर की खुशहाली के लिए
मैं सोचता-
माँ अपने लिए व्रत क्यों नहीं रखती
हम लोगों के लिए व्रत रखने वाली
हमे भरपेट खिला कर
आधा अधूरा खा कर
रह जाने वाली माँ
व्रत ही तो रखती थी!

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...