बुधवार, 4 सितंबर 2019

काना

जिस पर हो

विरोधियों का निशाना

समझिये उसे


अंधों में काना।  

अर्थ व्यवस्था : ५ क्षणिकाएं

विरोधियों की
हाय हाय का सेशन
बाज़ार में 
इन्फ्लेशन।

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खुदरा में
न थोक में
नज़र आती है
महंगाई
हर छह महीने के
महंगाई भत्ते में
नज़र आई।

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बचत में जाए घट 
क़र्ज़ में आये न नज़र
समझ लीजिये
कि कम हो गई
ब्याज दर।

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जब न चले बन्दूक,
न गोला बारूद की मार
फिर भी मचा हो
दुनिया में हाहाकार
समझ लीजिये
कि छिड़ गई है
ट्रेड वॉर।

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अमेरिका, चीन और जापान पर
जिसकी हो आस्था
समझ लीजिये उसे
भारत की अर्थ व्यवस्था।  

शनिवार, 24 अगस्त 2019

अब भी !

बच्चा छोटा था 
वैसे ही, जैसे दूसरे बच्चे होते हैं 
बड़ी बड़ी मीठी बातें करने वाला 
बच्चा बड़ा हो गया है 
फिर भी 
बड़ी बड़ी, मीठी बातें करता है 
अब नेता हो गया है बच्चा 
आह, बड़ा अब भी नहीं हुआ । 

कैसे !!!

मुझे याद है
पिता ने सिखाया था चलना मुझे
यहॉं तक
कि, कैसे पकड़नी है उँगली !
कैसे नहीं छोड़ना है साथ !
मुझे हमेशा याद रही
उनकी यह सीख ।
इसे मैं कैसे भूल गया तब !
कमर दर्द से बेहाल पिता
जब सीधे चल नहीं पाते थे ।
झुक गयी थी कमर उनकी
अपनी उँगली पकड़ा नही पाया थोड़ा झुक कर
देखता रहता उदासीन उनको
बाथरूम जाते घिसटते हुए ।
कैसे भूल गया था मैं ? 

रविवार, 11 अगस्त 2019

कारण

बेशक शिकायत वाजिब है
कोई नहीं सुनता किसी की
क्या तुमने कुछ सुनाने की कोशिश की
सिर्फ शिकायत करना कोशिश नहीं ।

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रात के सन्नाटे में
उसकी चींख उभरी
और खामोश हो गई
अब झींगुर बोलने लगे थे।

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कोई कितनी भी कोशिश करे
किसी को समझाने की
बेकार है कोशिश
क्योंकि, समझने के लिए समझ भी ज़रूरी है।

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पहले हँसा
फिर रोया
फिर शून्य में झांकने लगा
दुःख व्यक्त करने के लिए ज़रूरी है यह।

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बेशक
कोई कुछ न करे
आदत है किसी की
लेकिन जब कोई कुछ करता है
सवाल न करे
यह आदत ठीक नहीं।


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मैं समझता रहा
कि सन्नाटा पसरा हुआ है 
सकपका गया मैं

मैं क्यों हूँ सन्नाटे में !


एक सपना


एक रात

वह मेरे ख़्वाब में आया

उसने

मेरे बाल सहलाये

मैंने आँखे खोली

वह मन्द मन्द मुस्कुराया

मैंने आँखें बन्द कर ली

बड़ा प्यारा सपना था

कैसे जाने दूँ

एक पल में आँखों से !

बुधवार, 31 जुलाई 2019

इधर उधर, उधर इधर

बिल्ली आईचूहे भागे,
इधर उधर, उधर इधर
पानी बरसा, बूंदे बिखरी
इधर उधर, उधर इधर।
आंधी आई, पत्ते फैले 
इधर उधर, उधर इधर।
कुत्ता भौंका, पब्लिक भागी
इधर उधर, उधर इधर।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...