शुक्रवार, 27 मार्च 2015

हैरान सूरज

सूरज हैरान
क्रोध से तपता
जलती धरती
सब बेचैन
वृक्ष मुरझाये से
पशु-पक्षी दुबके हुए
सडकों पर सन्नाटा
तारकोल आँसू बहाता
पर, सबसे निरपेक्ष
एक कृशकाय
सड़क को नापता
पैरों में टायर की टूटी चप्पल
कपडे की डोर से बाँधी हुई
ऊपर समेटी हुई लुंगी 
छिदही बनियाइन से
बह रहा था
पसीने का झरना
आँखों में आते पसीने की बूँद को
एक हाथ से झटक देता
ठेला खड़ा कर
सर से उतारता है
तौलिया
मुंह और हाथ पैर का पसीना पोंछ
ऊपर देखता है
सूरज को
हाथ जोड़ता है -
हे भगवन !
सूरज हैरान है !!

गुरुवार, 22 जनवरी 2015

घरों में

सुबह
जब लोग सोये होते हैं
घर
तब मकान होते हैं। 
२.
रोशनदान
खिड़कियां
और दरवाज़े
सब खुले
सिर्फ
दिल न खुले।
३.
कीमती  सामान
और बड़े बुजुर्ग
सब  कीमती
इसीलिए
सब कोठरी में।
४.
घर में
माँ की इज़्ज़त
बहू इतनी करती है
किसी के आने पर
झाड़ू छीन लेती है। 
५.
घरों में अब
दादी- दादा के किस्से नहीं
किस्सों में दादी-दादा
सुने सुनाये जाते हैं। 

बुधवार, 7 जनवरी 2015

नया साल- पांच विचार


छुटकन ने
नए मकान में
मनाया नया साल
माँ बापू को
मिल गया था
जहाँ काम। 
२-
दिसम्बर में
क्रिसमस होता है
न्यू इयर होता है
खूब ठण्ड पड़ती है
अमीर सेलिब्रेट करते हैं
और गरीब भी
क्योंकि,
मौत के बाद
गरीबों में भी होता है
मृत्यु भोज ।  
३-
सूर्य किरण
मुन्ने ने खोली आँख

नव-वर्ष में

४- 
अतीत की धुंध की
लेकर एक चुस्की
विदा हो गया
साल।
५-
कैलेंडर  पर
जमी थी
अतीत की धूल
साफ़ कर दी
धूल और दीवार भी
नए कैलेंडर के लिए।


लौट आओ माँ

घर की दहलीज़ पर
दीप जला कर
रखती थी माँ
ताकि,
वापस आ जाएँ
भटके हुए पिताजी
लेकिन,
न पिताजी घर वापस आये
न माँ दीप जलाना भूली
एक दिन
माँ भी चली गयी
शायद वहीँ
जहाँ पिता गए होंगे
लेकिन,
घर की दहलीज़ पर
आज भी दीप जलता है 
मैं जलाती हूँ
ताकि, अब लौट आओ माँ !

अकड़ के


हर्ज़ क्या है
खड़े होने में
अकड़ के !
तेरे बाप की नहीं
सड़क
मेरे बाप की है
हनक
कचरा क्यों न फैलाऊँ
गली में, कूचे में
अकड़ के।
खाक तुम इंसान हो
अहमक
अपने से परेशान हो
बेझिझक
दबे रहो, न सर उठाओ

हम आये हैं
अकड़ के।
अपना- पराया कौन
मत बहक
आएगा कौन जायेगा कौन
मत समझ
जीता वही जो रहता है
मुर्ग सा घूमता हुआ 
अकड़ के।



बुधवार, 24 दिसंबर 2014

सांता

क्रिसमस पर
सजे हुए
ऊंचे, सुन्दर मॉल में
जा  रहा है सांता
इंतज़ार कर रहे है
बड़े घरों के
टिप टॉप बच्चे
सांता आएगा
गिफ्ट देगा
मॉल में जाते सांता की
नज़र पड़ती है
मॉल के पीछे की
गन्दी बस्ती के
बच्चो पर
जो
ललचाई नज़रो  से
देख रहे हैं सांता को
क्या सांता पास आएगा !
उन्हें भी देगा गिफ्ट !
सांता की दृष्टि
उन पर पड़ती है
झटके से घुस जाता है
मॉल में
बुदबुदाते हुए -
गॉड ब्लेस यू।  


गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

रूदन पुकार

मैंने सुना
नातिन रो रही थी
शायद भूख लगी थी
या कोई दूसरी तकलीफ
बच्चे सो रहे होंगे
जवान नींद गहरी होती है
मैं
दौड़ कर जाता हूँ
नातिन को उठा लेता हूँ
काश!
ऐसे ही हर कोई सुनता
किसी की रूदन पुकार !!!

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...