सुबह
जब लोग सोये होते हैं
घर
तब मकान होते हैं।
२.
रोशनदान
खिड़कियां
और दरवाज़े
सब खुले
सिर्फ
दिल न खुले।
३.
कीमती सामान
और बड़े बुजुर्ग
सब कीमती
इसीलिए
सब कोठरी में।
४.
घर में
माँ की इज़्ज़त
बहू इतनी करती है
किसी के आने पर
झाड़ू छीन लेती है।
५.
घरों में अब
दादी- दादा के किस्से नहीं
किस्सों में दादी-दादा
सुने सुनाये जाते हैं।
जब लोग सोये होते हैं
घर
तब मकान होते हैं।
२.
रोशनदान
खिड़कियां
और दरवाज़े
सब खुले
सिर्फ
दिल न खुले।
३.
कीमती सामान
और बड़े बुजुर्ग
सब कीमती
इसीलिए
सब कोठरी में।
४.
घर में
माँ की इज़्ज़त
बहू इतनी करती है
किसी के आने पर
झाड़ू छीन लेती है।
५.
घरों में अब
दादी- दादा के किस्से नहीं
किस्सों में दादी-दादा
सुने सुनाये जाते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें