सोमवार, 4 जून 2012

अनुभव (anubhav)

दादा जी समझाते थे
अनुभव मिलना
ज़िंदगी के लिए बहुत ज़रूरी है
हम उससे कुछ सीखते हैं
ज़िन्दगी आसान हो जाती है
शायद दादाजी को
अनुभव नहीं हुआ था या उन्होंने
मिले अनुभवों से कुछ सीखा न था
एक दिन पिताजी
उन्हें छोड़ कर चले गए
दादाजी अकेले रह गए
मैंने देखे थे
हमें जाते देख रहे दादाजी के आंसू
मुझे याद आ रही है दादाजी की सीख
लेकिन समझ नहीं पा रहा हूँ
पिताजी से मिले इस अनुभव से
मैं क्या सीख लूं?


आकाशदीप (akashdeep)


आसमान से बरसता
काला घनघोर अन्धकार
आकाशदीप को घेर कर बोला-
ऐ मूर्ख!
इस वियावान में
किसके लिए जल रहा है
कितना है तेरा प्रकाश
कितनो को है इसकी चाह
मेरी गोद में बैठ कर निरर्थक
प्रकाश की मृग मरीचिका बना हुआ है
जा सोजा .
आकाशदीप टिमटिम मुस्कुराया-
मैं भटके हुए नाविकों को राह सुझाता हूँ
उनको उनका गंतव्य बताता हूँ .
ठठा कर हंसा अन्धकार-
बड़ा अबोध है तू,
क्या तू कभी एक कदम चला है यहाँ से
क्या तूने कभी पार किया है यह क्रोधित समुद्र
कितना कठिन है, भयानक जलचरों से भरा
इसे रात में पार करना तो कठिनतर है
जबकि तेरा प्रकाश अत्यधिक मद्धम है
स्वयं कुछ दूर तक नहीं चल सकता
नाविक को राह क्या दिखा पायेगा
बेचारा नाविक समुद्र की क्रोधित लहरों में फंस कर
डूबता है और डूबेगा ही  .
शांत बना रहा आकाशदीप-
मित्र ! मैं नाविक को केवल लक्ष्य दिखाता  हूँ
इस लक्ष्य को पाने के लिए
बिना विचलित हुए जहाज खेना 
मेरा नहीं नाविक का काम है
मित्र जो लोग अपना मार्ग जानते पहचानते है
वह पथभ्रष्ट नहीं होते, लहरों से टकराकर लुढ़कते नहीं
उनको उनका लक्ष्य देखने और पहचानने  के लिए
मेरा अस्तित्व ही पर्याप्त है।
आकाशदीप का प्रकाश धूमिल पड़ने लगा
उससे पहले अन्धकार मद्धम पड़ कर लुप्त हो गया
क्यूंकि सूर्य निकल आया था।

शुक्रवार, 1 जून 2012

पसीना

रिक्शावाला
रिक्शा खींच रहा है
सिर से पैर तक
पसीने से नहाया है वह
नहाया तो मैं भी हूँ
बुरी तरह पसीने से
क्यूंकि रिक्शावाला ने
हुड नहीं लगाया है।
मैं डांट लगाता हूँ
हुड लगा होता तो
मुझे गर्मी न लगती
पैसा खर्च कर भी
पसीना पसीना न होना पड़ता ।
रिक्शावाला कुछ नहीं बोलता
सुनता रहता है मेरी भुनभुनाहट ।
गंतव्य तक पहुँच कर
मैं दस का नोट देता हूँ
रिक्शावाला कहता है-
बाबूजी, कितनी गर्मी है
दो रुपया और दे दो।
मैं चीख उठता हूँ-
क्या ग़ज़ब है
खुला रिक्शा चला रहा है
मुझे पसीना पसीना कर दिया,
उस पर दो रुपया ज़्यादा मांग रहा है।
मैं आगे बढ़ जाता हूँ
रिक्शावाला की बुदबुदाहट
कानों में पड़ती है-
क्या मेरे पसीने का मोल दो रुपया भी ज़्यादा नहीं।

मंगलवार, 29 मई 2012

शुभ रात्री

जब सोने के लिए जाओ
तब
किसी को शुभरात्री क्यूँ बोलना
पता नहीं कितनों ने कुछ खाया भी हो
कितनों के पास पत्थर का बिछोना हो
कितनों को सुस्त पड़ी हवा में
ठंडक अनुभव करनी पड़ती हो
जब भूखे पेट भजन नहीं हो सकता
पत्थर पर जीवन पैदा नहीं हो सकता
सुस्त हवा में दम घुटता हो, तो
किसी को नींद कैसे आ सकती है? 
तब आखिरी आदमी की रात्री
कैसे शुभ हो सकती है?
क्या अच्छा नहीं होगा
अगर
सोने से पहले
कुछ देर नींद को दूर भगाते हुए
कल कुछ लोगों के लिए
दो रोटियों, एक अदद बिछोने और खजूर के पंखे का
प्रबंध करने की सोचते हुए सोया जाए।

लोग



आप चलिये,
अपनी राह पर आगे बढ़िए
देखिये आपके पीछे आने वाले
और आपको पुकारने वाले
ढेरों लोग दिख जाएंगे।
लेकिन भरोसा रखिए
इनमे से ज्यादातर
आपके अनुगामी नहीं
वह आपको
इसलिए आवाज़ दे रहे हैं
कि आप पलटे
लड़खड़ा कर गिरे
और आगे नहीं बढ़ पाएँ

सोमवार, 28 मई 2012

रिश्ते

मैं पैदा हुआ
माँ को बेटा मिला
मुझे माँ मिली।
फिर माँ को बेटी हुई
वह पत्नी और दो बच्चों की माँ में बंटी  
पर उसे दो बच्चे मिले
मुझे एक बहन मिली ।
फिर मैं पढ़ने गया
मुझे दोस्त और अध्यापक मिले
मेरी शादी हुई
मुझे पत्नी मिली
उसे पति मिला
हमारे बच्चे हुए
वह माँ, बेटी, बहू और पत्नी बनी
मैं पिता, बेटा, दामाद और पति बना
हमारे नए रिश्ते बने
हम खुद बंटे नहीं
हमने रिश्ते बांटे और रिश्ते के दुख दर्द बांटे
लेकिन यह बंटना कहाँ हुआ
यह बनाना हुआ, बांटना हुआ
रिश्तों और उनके दुख दर्द को।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...