दीपोत्सव के बाद की सुबह
उठ कर बालकनी मे आया
जल चुके कई दीप बिखरे हुए थे।
मेरे मन मे संतुष्टि भाव था
रात तक प्रकाश बिखेरा था इन माटी के दीपों ने
तभी शंका उभरी
दीपों का मुँह काला पड़ चुका था
कदाचित जल जाने की उदासी थी
मन दुखी हुआ ।
तभी दिल ने कहा-
यह उदास हैं ।
तब से सोच रहा हूँ
क्योंकि, नहीं बिखेर सके
सारी रात प्रकाश !
क्यों कम होती है!
दीपों की आयु ?
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