सोमवार, 10 अप्रैल 2017

तुम भ्रमित !

तुम्हे दिशा भ्रम होता
तो तुम
त्रिशंकु लटके होते
अंतरिक्ष में
यह तो मतिभ्रम है
जो औंधे पड़े हो
ज़मीन पर।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें