रास्ता
ख़त्म नहीं होता
कभी।
दुरूह होता है
दुर्गम हो सकता है
पर मिलेगा
ज़रूर
ढूंढो तो सही
ख़त्म होने के लिए
नहीं बनते
रास्ते
लक्ष्य के बाद भी
शेष रहते हैं
रास्ते
आगे जाने वाले
मुसाफिर के
वास्ते
वहीँ ख़त्म होते हैं
रास्ते/जहाँ
खड़ी कर दी जाती है
दीवार।
२-
पगडण्डी
और
रास्ते का फर्क
पगडण्डी पर
नहीं बनायी जा सकती
दीवार।
ख़त्म नहीं होता
कभी।
दुरूह होता है
दुर्गम हो सकता है
पर मिलेगा
ज़रूर
ढूंढो तो सही
ख़त्म होने के लिए
नहीं बनते
रास्ते
लक्ष्य के बाद भी
शेष रहते हैं
रास्ते
आगे जाने वाले
मुसाफिर के
वास्ते
वहीँ ख़त्म होते हैं
रास्ते/जहाँ
खड़ी कर दी जाती है
दीवार।
२-
पगडण्डी
और
रास्ते का फर्क
पगडण्डी पर
नहीं बनायी जा सकती
दीवार।
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