इस गणतंत्र दिवस पर
कभी फहराते झंडे,
उसे उठाये डंडे और लिपटी रस्सी को देखो
डंडा घमंड से इतराता है
कि उसने गणतंत्र का प्रतीक उठा रखा है
मगर भूल जाता है
अपने से लिपटी उस रस्सी को
जो उसे नियंत्रित करती है
तथा उसकी मदद करती है
ऊंचा उठाने में
गणतंत्र के झंडे को.
अगर
रस्सी का नियंत्रण न होता
तो डंडा
ख़ाक फहरा पाता आसमान में झंडा
तार तार कर रहा होता
गणतंत्र के झंडे को
और खुद
मुंह तुड़वा लेता अपना।
कभी फहराते झंडे,
उसे उठाये डंडे और लिपटी रस्सी को देखो
डंडा घमंड से इतराता है
कि उसने गणतंत्र का प्रतीक उठा रखा है
मगर भूल जाता है
अपने से लिपटी उस रस्सी को
जो उसे नियंत्रित करती है
तथा उसकी मदद करती है
ऊंचा उठाने में
गणतंत्र के झंडे को.
अगर
रस्सी का नियंत्रण न होता
तो डंडा
ख़ाक फहरा पाता आसमान में झंडा
तार तार कर रहा होता
गणतंत्र के झंडे को
और खुद
मुंह तुड़वा लेता अपना।
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