बुधवार, 25 सितंबर 2013

अनुभूति २० मई २०१३


मैने नीम से पूछा
 

 
मैंने नीम से पूछा-
तू इतनी कड़वी क्यों है?
जबकि, तू
सेहत के लिए फायदेमंद है।
नीम झूमते हुए बोली-
अगर मैं कड़वी न होती
तो, तुझे
कैसे मालूम पड़ता
कि कड़वेपन के कारण
सेहतमंद नीम की भी
कैसे थू थू होती है.

-राजेन्द्र कांडपाल
२० मई २०
१३

अनुभूति 17 june 2013

गंगा- कुछ क्षणिकाएँ
 




गंग जमुन की बहती धार
प्यास बुझाए
खेत हजार
अन्न लहलहाए
सींचे धरती बारम्बार

-मंजुल भटनागर



खिल खिल करती
मचलती, खेलती
आह्लादित उर्मियों को
अपने सीने पर
बच्ची सी चढ़ाये, चिपकाए
मस्ती में झूमती, इठलाती
बहने वाली गंगा
खो गयी है
जाने कहाँ ?

-अनिल कुमार मिश्र



गंगा है
माँ की माँ
तभी तो
समा जाती है
गंगा की गोद में
एक दिन माँ भी।

-राजेंद्र कांडपाल



इस देश की बुद्धिमत्ता
कुम्भकर्ण की नीद सो रही है
उसे पता ही नहीं
कि गंगा बीमार हो रही है

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१७ जून २०१३

शनिवार, 7 सितंबर 2013

खामोशी

 जहां लोग
आपस में नहीं बोलते
वहाँ,
खामोशी बोलती है
चीखती हुई
इतनी, कि
कान बहरे हो जाते हैं
कुछ सुनाई नहीं पड़ता।

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...